स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम की एक मस्जिद के बाहर विरोध प्रदर्शन के दौरान क़ुरान जलाने के मामले में ईरान ने कड़ा फ़ैसला लिया है। ईरान सरकार ने अपना नया राजदूत स्वीडन भेजने से इनकार कर दिया है।
स्वीडन की पुलिस ने इस घटना को अंजाम देने वाले शख़्स पर जातीय और राष्ट्रीय समूह के ख़िलाफ़ अशांति फैलाने का मामला दर्ज किया है। ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीरअब्दुल्लाहियान ने प्रदर्शन करने की अनुमति देने पर सरकार की निंदा की है।
इस तरह के प्रदर्शनों की अनुमति के लिए कई बार पुलिस के पास निवेदन आए थे, जिसे उसने ख़ारिज कर दिया था लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के आधार पर कोर्ट के फ़ैसले के बाद इन प्रदर्शनों की अनुमति दी गई थी। सऊदी अरब ने भी स्वीडन के राजदूत को क़ुरान जलाने के मामले में समन किया है।
सऊदी प्रेस एजेंसी ने वहां के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया है कि रियाद स्थित स्वीडिश दूतावास के राजदूत को समन किया गया और क़ुरान जलाने की घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा, ''सऊदी अरब ने स्वीडन से कहा कि वह उन हरकतों को रोके जिनसे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन हो रहा है। हमें एक दूसरे के मूल्यों का आदर करना चाहिए और सहिष्णु बनने की ज़रूरत है।''
क़ुरान जलाने वाले को इराक़ ने प्रत्यर्पित करने को कहा
मुसलमान क़ुरान को ईश्वर के पवित्र शब्द के रूप में देखते हैं और जानबूझकर इसको लेकर नुक़सान पहुंचाने या इसको लेकर अनादर का भाव दिखाने को बेहद आपत्तिजनक माना जाता है। ईरानी विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियान ने कहा है कि तेहरान न ही नया राजदूत नियुक्त करेगा और न ही किसी को भेजेगा।
ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “पवित्र क़ुरान के अपमान करने की स्वीडन सरकार की अनुमति के बाद उन्हें (राजदूत) भेजने की प्रक्रिया को रोक दिया गया है।”
इराक़ के विदेश मंत्री ने भी स्वीडन सरकार से मांग करते हुए कहा है कि वो क़ुरान जलाने वाले शख़्स को उसे सौंप दे. उनका तर्क है कि उस शख़्स के पास अब भी इराक़ी नागरिकता है और उस पर बग़दाद में केस चलाया जाना चाहिए।
इस घटना के बाद इराक़ में स्वीडन दूतावास पर हज़ारों प्रदर्शनकारी ने हमला बोला था. ये प्रदर्शनकारी चर्चित शिया मौलवी मोक़तहा अल-सद्र के उकसावे के बाद वहाँ पुंँचे थे।
सुरक्षाबलों की तैनाती के 15 मिनट के बाद प्रदर्शनकारी वहाँ से चले गए थे।
स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ़ क्रिस्टर्शन ने दूतावास पर हमले की निंदा की है लेकिन साथ ही कहा है कि स्वीडन को अब अपनी पहचान पर विचार करने का समय आ गया है।
उन्होंने कहा, “दूसरे देशों में ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से स्वीडन के दूतावासों पर हमला करना पूरी तरह अस्वीकार्य है। मुझे लगता है कि हमें भी स्वीडन में विचार करने की ज़रूरत है। यह बहुत ही गंभीर सुरक्षा स्थिति है, दूसरे लोगों के अपमान का कोई कारण नहीं है।