मणिपुर में तीन मई को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसा शुरू हुई। कांग्रेस का आरोप है कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार स्थिति पर नियंत्रण कर पा रही है।
पार्टी पीएम मोदी पर इस मामले में चुप्पी साधने का आरोप लगा रही है. उसकी मांग है कि इस मुद्दे पर पीएम संसद में बयान दें। 19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वसत्र कर घुमाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया। ये घटना 4 मई की थी।
इसके बाद 20 जुलाई को पीएम ने पहली बार संसद के बाहर मणिपुर मामले पर टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाने को कहा।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले का संज्ञान लिया और पुलिस से जल्द कार्रवाई करने को कहा। 20 जुलाई को इस मामले में पहली गिरफ्तारी हुई और अबतक चार लोग गिरफ्तार किये जा चुके हैं।
21 जुलाई को मणिपुर में कुछ महिलाओं ने इस मामले में गिरफ्तार एक अभियुक्त के घर को आग के हवाले कर दिया। मणिपुर महिला उत्पीड़न और हिंसा के मामले में गुरुवार (20 जुलाई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुप्पी तोड़ने के बाद से राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदले हैं।
मणिपुर के थौबल ज़िले में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर परेड कराने और यौन उत्पीड़न का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
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उधर केंद्र सरकार ने राज्य में सीआरपीएफ़ की तैनाती को नए सिरे से चाकचौबंद करने का फ़ैसला लिया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जाएगा।
ये वीडियो बुधवार को सोशल मीडिया पर नज़र आया था, जिसके बाद पूरे देश में आक्रोश फूट पड़ा। दोनों महिलाओं के साथ ये घटना चार मई को थौबल ज़िले के नोंगपोक सेकमाई पुलिस थानाक्षेत्र के बी फीनोम कुकी गांव में हुई थी।
इस मामले में पहली एफ़आईआर कांगपोकपी ज़िले में 18 मई को दर्ज कराई गई थी। पीएम मोदी के बयान के बाद मणिपुर के इस जघन्य कांड को लेकर अब तक क्या-क्या हुआ, आईए इस पर एक नज़र डालते हैं।