पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को तोशाखाना केस में तीन साल क़ैद और जुर्माने की सज़ा सुनाए जाने के बाद लाहौर में उनके आवास से गिरफ़्तार कर पंजाब प्रांत के सीमाई ज़िले अटक की जेल भेजा गया है।
पंजाब के जेलों के विभाग के एक अफ़सर ने बताया है कि पीटीआई चेयरमैन और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के जेल स्थानांतरण के बाद सामान्य नियम के तहत उनकी गिरफ़्तारी के वारंट को चेक किया जाएगा।
इसके बाद उनका अगर कोई पहले का मेडिकल रिकॉर्ड या रिपोर्ट है तो उसकी जांच की जाएगी जिसके बाद जेल में ही उनका एक नया मेडिकल टेस्ट करवाया जाएगा।
जेल अधिकारियों के अनुसार जेल पहुंचने पर किसी भी क़ैदी का मेडिकल टेस्ट करवाना ज़रूरी होता है।
इसके बाद इमरान ख़ान के पास रहे उनके निजी सामान को उनसे लेकर अफ़सर के हवाले कर दिया जाएगा और वह जेल के मालख़ाने में रखा जाएगा। ऐसी चीज़ों को रिहाई के समय वापस कर दिया जाता है।
जेल अधिकारियों के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के मेडिकल टेस्ट और उनसे क़ीमती सामान लेने के बाद उन्हें बैरक में भेज दिया जाएगा।
जानिए पाकिस्तान की अटक जेल का के बारे में
अटक पाकिस्तान के सबसे बड़े राज्य पंजाब का आख़िरी उत्तरी शहर है जो सन 1904 में अंग्रेज़ों के समय में कैंबलपुर के नाम से आबाद किया गया था।
सिंधु नदी के बाएं किनारे पर जहां 120 साल पुराना शहर अटक मौजूद है वहां थोड़ी ही दूर पर अटैक ख़ुर्द यानी छोटा अटैक के नाम से एक गांव भी है जो इससे पहले से आबाद है।
सोलहवीं सदी में जब मुग़ल बादशाह अकबर ने सिंधु नदी के किनारे पर क़िला बनाया तो उसका नाम भी अटक क़िला रखा था। उस ऐतिहासिक क़िले का एक हिस्सा आज भी पाकिस्तानी सेना के स्पेशल सर्विसेज़ ग्रुप यानी कमांडोज़ के अधीन है।
यह भी पढ़े : तोशाखाना मामले में इमरान खान दोषी करार, हुए गिरफ्तार
इस क़िले में पूर्व फ़ौजी राष्ट्रपति जनरल ज़िया उल हक़ के ख़िलाफ़ कथित तौर पर बग़ावत के मुक़दमे समेत बेनज़ीर भुट्टो के ख़िलाफ़ कथित साजिश करने वालों के ख़िलाफ़ मुक़दमे चलाए गए।
1999 में पाकिस्तान में सैनिक विद्रोह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ भी इस क़िले में क़ैद रहे और पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ़ अली ज़रदारी के ख़िलाफ़ मुक़दमों की सुनवाई भी इसी ऐतिहासिक क़िले में होती रही है और वह एक लंबे अरसे तक यहीं क़ैद रहे।
अटक की ज़िला जेल शहर की स्थापना के एक साल बाद 1905 में बनाई गई और पंजाब के जेलों के विभाग की वेबसाइट के अनुसार यहां 539 क़ैदी रखने की गुंजाइश है जबकि इस समय वहां इससे कहीं अधिक यानी 804 लोग क़ैद हैं।
इस जेल में अतीत में भी राजनेताओं को क़ैद किया जाता रहा है. इस साल फ़रवरी में तहरीक-ए-इंसाफ़ ने जब जेल भरो आंदोलन की शुरुआत की थी तो पार्टी के वाइस चेयरमैन शाह महमूद क़ुरैशी को एक महीने के लिए अटक जेल भेजा गया था।
इससे पहले मुस्लिम लीग नवाज़ के नेता और एक केस में उम्र क़ैद की सज़ा पाने वाले हनीफ़ अब्बासी भी कुछ समय इस जेल में क़ैद रह चुके हैं। उन्हें शुरुआत में अडयाला जेल में रखा गया था लेकिन जेल सुपरिंटेंडेंट के कार्यालय में नवाज़ लीग के अध्यक्ष नवाज़ शरीफ़, मरियम नवाज़ और कैप्टन सफ़दर के साथ मुलाक़ात की ख़बरें सामने आने के बाद उन्हें अटक जेल भेज दिया गया था।