इजरायली अखबार हारेत्ज़ : नेतन्याहू इस त्रासदी के लिए दोषी हैं
इजरायली समाचार पत्र हारेत्ज़ ने इस देश पर हुए हमास के आश्चर्यजनक हमले के लिए प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को जिम्मेदार बताया है।
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इजरायली समाचार पत्र हारेत्ज़ ने लिखा कि "सिम्हात तोराह" की छुट्टी पर इज़राइल पर हुए हमास के आश्चर्यजनक हमले की त्रासदी एक व्यक्ति के कार्यों का प्रत्यक्ष परिणाम थी: इज़राइली प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू।
अपने राजनीतिक अनुभव और सुरक्षा मामलों में अद्वितीय ज्ञान पर गर्व करने वाले इस श्रीमान प्रधान मंत्री को यह समझ में नहीं आया कि उन्होंने अपनी सरकार में प्रमुख पदों पर "बेट्सलेइल स्मोट्रिच" और "इतामार बेंगुइर" जैसे चरमपंथी व्यक्तियों को नियुक्त करने के साथ-साथ फिलिस्तीनियों के अधिकारों की अनदेखी करके इजरायल को नरक की ओर ले जा रहे हैं।
नेतन्याहू इस अपमान की ज़िम्मेदारी सेना, सैन्य ख़ुफ़िया संगठन और इज़राइल के ख़ुफ़िया और आंतरिक सुरक्षा संगठन (शबाक) के सिर पर डालने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि हमें पता होना चाहिए कि यह दिखावे के संगठन 1973 में अरब-इजरायल युद्ध का भी सटीक सुराग लगा पाने और भविष्यवाणी करने में असमर्थ रहे थे।
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नेतन्याहू सरकार ने हमास और उसकी सैन्य शक्ति को कम करके आंका और आने वाले दिनों और हफ्तों में, जब इजरायल की सैन्य और खुफिया बलों की विफलता की गहराई सामने आएगी, तो निस्संदेह उसे अपने आकलन में कमियों के लिए जवाब देना होगा।
इन संस्थानों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते समय हमें इस संकट की स्थिति में नेतन्याहू की गलती और उनकी जवाबदेही को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए; क्योंकि इजराइल की घरेलू और विदेश नीति में अंतिम फैसला उन्हीं का होता है।
नेतन्याहू न तो एहुद ओलमर्ट की तरह हैं, जो 33 दिनों के युद्ध में नौसिखिया थे, न ही वह गोल्डा मेयर और मेनाकेम बेगिन की तरह सैन्य मामलों की अज्ञानता का दावा कर सकते हैं।
नेतन्याहू ने एक ऐसी नीति बनाई जिसका नफ्ताली बेनेट और यायर लैपिड की अल्पकालिक कैबिनेट ने स्वागत किया। उन्होंने गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक दोनों मोर्चों पर फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन को दबाने का एक बहुपक्षीय प्रयास किया।
अतीत में, नेतन्याहू ने खुद को एक ऐसे सतर्क नेता के रूप में प्रस्तुत किया जो युद्धों से दूर रहता था। लेकिन सबसे हालिया इज़राइली चुनाव जीतने के बाद सरकार में अब तक की सबसे अधिक दक्षिणपंथी और टक्करपंथी सरकार सत्ता में आ गई, जो खुले तौर पर वेस्ट बैंक पर कब्जा करना और जातीय सफाया करना चाहती है।
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इन नीतियों के कारण, बड़े पैमाने पर यहूदी बस्तियों के निर्माण में वृद्धि हुई है और अल-अक्सा मस्जिद के पास पवित्र तीर्थ में यहूदियों की उपस्थिति बढ़ गई है। सऊदी अरब के साथ एक शांति समझौता भी है जिसमें फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है और नेतन्याहू अपने गठबंधन मंत्रिमंडल में "दूसरी निकबत" की बात करते हैं।
इन गलत नीतियों के कारण जैसा कि अपेक्षित था, प्रतिरोध के संकेत वेस्ट बैंक में शुरू हुए, जहाँ फ़िलिस्तीनियों ने इज़रायली दमन देखा था। हमास ने मौके का फायदा उठाया और शनिवार को इजरायली ठिकानों पर अचानक हमला कर दिया।
हाल के वर्षों में, इज़राइल के खिलाफ संभावित खतरे एक वास्तविकता बन गए हैं। वह प्रधान मंत्री जिस पर भ्रष्टाचार के तीन मामले चल रहे हों वह घरेलू मामलों को नहीं संभाल सकता क्योंकि वह अभियोजन और कारावास से बचने के लिए कब्जे वाले क्षेत्रों के निवासियों के हितों का बलिदान दे रहा है।
नेतन्याहू के भयानक गठबंधन सरकार और न्यायिक तख्तापलट पर जोर देने के साथ-साथ वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और खुफिया एजेंसियों के कमजोर करने का कारण भी यही था। क्योंकि इनको नेतन्याहू अपना विरोधी मानते हैं। "इजरायली प्रधानमंत्री के इस स्वार्थ की कीमत सैनिकों ने कल चुकाई है।"