जानिए इसराइल-हमास जंग में कौन देश इसराइल के साथ है और कौन ख़िलाफ़
युद्ध कब खत्म होगा? हमास ने जिन लोगों को बंधक बनाया है, वे कब रिहा होंगे? ग़ज़ा में रहने वाले लोगों की जिंदगी कब पटरी पर लौटेगी, इसका जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं है।
Table of Contents (Show / Hide)
हमास के हमले के तुरंत बाद कुछ देशों ने हमास की निंदा करते हुए इसराइल का समर्थन किया तो कुछ देश हमास के समर्थन में जा खड़े हुए। कुछ देशों ने स्थायी शांति स्थापित करने के लिए नई कोशिशें करने की अपील की, तो कुछ ने इसराइल को इस युद्ध का दोष दिया।
अब पश्चिम के देश इसराइल के पीछे और अरब के देश हमास के पीछे लामबंद होते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसराइल के साथ राजनयिक संबंध कायम करते हुए, जिन अरब के देशों ने अपने राजदूत वहाँ भेजे थे, वहाँ भी असहजता बढ़ रही है। दुनिया के कई देशों ने इसराइल से अपने राजदूत वापस बुला लिए हैं।
युद्ध शुरू हुए पूरा एक महीना यानि 30 दिन हो गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक ग़ज़ा में मरने वालों की संख्या 8700 से ज़्यादा हो गई है, वहीं इसराइल के क़रीब 1400 लोग मारे गए हैं।
इस प्रस्ताव के पक्ष में 120 वोट पड़े, जबकि अमेरिका समेत 14 पश्चिमी देशों ने इसके ख़िलाफ़ मतदान किया, वहीं भारत समेत 45 ऐसे देश थे, जो वोटिंग से बाहर रहे।
अमेरिका
साल 1948 में इसराइल को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक अमेरिका था। हमास के हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन इसराइल पहुंचे थे और उन्होंने कहा था कि वे ‘इसराइल के साथ खड़े हैं’।
फ्रांस
हमास के हमले के बाद न सिर्फ़ अमेरिकी राष्ट्रपति बल्कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों भी इसराइल पहुंचे थे। मैक्रों ने हमास को "एक आतंकी संगठन" बताया और कहा कि "ये संगठन इसराइल के लोगों की मौत चाहता है।"
ईरान
इस जंग में ईरान, खुलकर हमास का समर्थन कर रहा है और बार-बार इसराइल को कड़े परिणाम भुगतने की चेतावनी दे रहा है।
जॉर्डन
इस युद्ध में जॉर्डन फलस्तीनियों के साथ खड़ा है और वह द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की बात करता है।
तुर्की
तुर्की और इसराइल के बीच रिश्ते में 2002 के बाद से उतार-चढ़ाव रहे हैं। फ़लस्तीन मुद्दे को लेकर तुर्की हमेशा इसराइल पर हमलावर रहा है। अर्दोआन ने कहा कि हमास एक आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि यह एक लिबरेशन ग्रुप है, जो अपनी भूमि और लोगों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ रहा है।
यह भी पढ़े : गाजा युद्ध पर सऊदी अरब की रहस्यमयी चुप्पी का राज़
सऊदी अरब
कुछ वक़्त पहले ही सऊदी अरब और इसराइल के बीच संबंधों को बेहतर करने की दिशा में कदम उठाने शुरू किए गए थे। लेकिन इसराइल-हमास संघर्ष ने इस पूरी कवायद को पटरी से उतार दिया है। दुनियाभर के मुसलमानों और अरबी लोगों के लिए फ़लस्तीन बेहद महत्वपूर्ण है।
क़तर
क़तर के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है, ’’क़तर एक बार फिर सभी पक्षों से संघर्ष को आगे न बढ़ाने की अपील करता है। दोनों पक्ष पूरी तरह हिंसा छोड़ दें ताकि ये इलाक़े और बड़ी हिंसा के दुश्चक्र में न फंस जाए। क़तर का इसराइल के साथ कोई औपचारिक संबंध नहीं है। बावजूद इसके क़तर मध्यस्थता के मामले में केंद्रीय भूमिका में आ गया है।
बोलीविया
लातिन अमेरिकी देश बोलीविया ने ग़ज़ा में इसराइल के सैन्य अभियान के मद्देनजर उससे राजनयिक संबंध तोड़ने की घोषणा की है।
बोलीविया पहले भी ग़ज़ा पट्टी को लेकर इसराइल से संबंध तोड़ चुका है। करीब एक दशक तक इसराइल से संबंध तोड़ने के बाद 2019 में ही दोनों के बीच राजनयिक संबंध बहाल हुए थे।
कोलंबिया
कोलंबिया ने इसराइल से अपने राजदूत को वापस बुलाने का घोषणा की है।
राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो का कहना है कि हमास के ख़िलाफ़ युद्ध में इसराइल, ग़ज़ा में फलस्तीनियों का ‘जनसंहार’ कर रहा है और ऐसी स्थिति में उनका देश इसराइल के साथ नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि यह जनसंहार मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है।
चिली
चिली ने भी अपने राजदूत को इसराइल से वापस बुलाने का फ़ैसला किया है। चिली के राष्ट्रपति ग्रेबियल बोरिक का कहना है कि इसराइल के हमले में निर्दोष नागरिक मारे जा रहे हैं।
पाकिस्तान
इस युद्ध में पाकिस्तान, फलीस्तीन का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान ने इसराइल पर हमास के हमले का विरोध भी नहीं किया था। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, “पाकिस्तान फ़लस्तीन के समर्थन में खड़ा है।
भारत
इसराइल पर हमास के हमले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादी हमला बताया है और कहा कि वो इस मुश्किल वक़्त में इसराइल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।
चीन
बाद में चीन ने अपनी आर्थिक नीतियां बदलीं और इसराइल के साथ रिश्तों को सामान्य किया, लेकिन चीन ने साफ कर दिया है कि वह फलस्तीनियों का समर्थन करता रहेगा।
लेकिन अब तो चीन की दिग्गज कंपनियों बाइदू और अलीबाबा ने अपने नक्शे से इजरायल को एक देश के रूप में दिखाना भी बंद कर दिया है। अब इजरायल का नाम देश के रूप में नहीं है।