अम्मी कहाँ हैं? दादी कहाँ हैं? सब कहाँ हैं?''
नाज़ुक से शरीर पर बमबारी के ज़ख़्म लिए चार साल का बच्चा उमर ये सवाल ग़ज़ा के एक अस्पताल में पूछता है।
इस सवाल को सुनकर उमर के इकलौते ज़िंदा रिश्तेदार मोइन अबु रेज़क कहते हैं, ''जब उसने अपने परिवार के बारे में पूछा तो मैं जवाब नहीं दे पाया। मैंने गहरी सांस ली और बच्चों की तरह किसी दूसरे बारे में ही बात करके सवाल टालने की कोशिश की।''
ग़ज़ा के अल-अक़्सा अस्पताल में भर्ती उमर की हालत नाज़ुक है। डॉक्टरों को उमर के बाएं हाथ को काटना पड़ा. उमर के दाएं पैर में अब भी ज़ख़्म है।
सीने और चेहरे पर भी ज़ख़्म हैं। उमर का जबड़ा चोटिल है और छोटे से शरीर पर काफ़ी सारी पट्टियां बंधी हुई हैं।
ये चोटें उस इसराइली हमले के बाद उमर को लगी हैं, जिसमें उमर के परिवार के 35 लोगों की जान चली गई. मरने वालों में उमर की मां, पिता और दादी भी शामिल हैं।
उमर को है अपने माँ बाप का इंतज़ार
उमर के रिश्तेदार मोईन ने तय किया है कि इस बच्चे को इन मौतों के बारे में ना बताया जाए ताकि उसकी हालत कहीं और ना बिगड़ जाए।
फ़िलहाल उमर को मिस्र के रास्ते ग़ज़ा से बाहर निकालने की कोशिश हो रही है। ऐसी पहल यूएई सरकार और रेड क्रिसेंट सोसाइटी की ओर से शुरू की गई है।
मोईन का कहना है कि ''उमर को घरवालों की मौत की बात ऐसे बतानी होगी ताकि उसे सदमा ना पहुँचे। या वो किसी ऐसी स्थिति में ना पहुँच जाए, जिस पर मैं काबू नहीं पा सकता।
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सोशल मीडिया पर मोईन ने वॉइस नोट के ज़रिए बताई यें बातें
वो कहते हैं- उमर जानता है कि उसने अपने घरवालों को नहीं देखा है और वो पूछता है- अम्मी कहाँ हैं, दादी कहाँ हैं, ये लोग कहाँ गए?
मोईन को उमर के लिए मेडिकल मदद मिलने की उम्मीद है लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि उमर को एंबुलेंस से मिस्र के बॉर्डर तक ले जाया जाएगा। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सेंट्रल ग़ज़ा में काफ़ी बमबारी हो रही है।
इसराइली सेना ने ग़ज़ा को दो टुकड़ों में बाँट दिया है। टैंक और सैनिक अब दक्षिणी शहर ख़ान युनूस की तरफ़ बढ़ रहे हैं। दीर अल-बालाह के मुख्य हाईवे को युद्ध का मैदान घोषित कर दिया गया। इस कारण यहां फँसे लोगों के पास बाहर निकलने के रास्ते कम ही हैं।
जब उमर के परिवार और घर पर गिरी मिसाइल
मोईन बताते है कि उमर और उसका परिवार दीर अल-बालाह से उत्तर में नुसरत कैंप में दादी के घर गया हुआ था। जब उमर का परिवार यहाँ मौजूद था, तब बिना किसी चेतावनी के इसराइल ने हमला किया और लोग मारे गए।
मोईन कहते हैं, ''हमने इस तरह की कोई मिसाइल कभी नहीं देखी थी। मिसाइल गिरी और पूरे इलाक़े को तबाह कर दिया। किस्मत से घर का एक हिस्सा खुला हुआ था, जिससे उमर नीचे गिरा। लेकिन उसका बांया हाथ इस कदर चोटिल हुआ कि उसे फौरन काटना पड़ा।''
वो बताते हैं, ''उमर का तीन यूनिट ख़ून बह गया था। उसका हिमोग्लोबिन भी 7.4 पर आ गया। ख़ून चढ़ाने के लिए उमर की सर्जरी की गई।'
मोईन बताते हैं कि अस्पताल में हालत काफ़ी ख़राब थी, उमर की हालत इतनी नाज़ुक होने के बाद भी उन्हें उसके लिए बेड नहीं मिल पा रहा था। इस वजह से अस्पताल के गलियारे में ही डॉक्टर्स और नर्सों ने उमर का इलाज किया।
वो कहते हैं, ''इलाज में लगने वाले ज़रूरी सामान सीमित हैं। अस्पतालों में पेन किलर नहीं हैं तो चुटकुले सुनाकर हँसाने की कोशिश की जाती है ताकि दर्द से ध्यान हटाया जा सके।
लेकिन अब उमर को रफाह बॉर्डर के पास ले जाया जाएगा। जहां से वो मिस्र के अस्पताल में इलाज के लिए जा सकेगा।