हाल के दिनों में लाल सागर में भारतीय जहाज पर हुए हमले के बाद ईरान और पाकिस्तान के एक दूसरे पर हमले ने इस उपमहाद्वीप और खाड़ी की सुरक्षा के आपस में जुड़े होने की बात को सामने ला दिया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार सी राजा मोहन के एक विश्लेषण को अख़बार में जगह दी है, जिसमें वो कहते हैं कि लंबे वक़्त से भारतीय उपमहाद्वीप और खाड़ी के बीच की भू-राजनीति आपस में जुड़ी रही है, लेकिन ईरान और पाकिस्तान के इन हमलों के बाद अब ये दोनों क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से एक दूसरे के लिए और अधिक महत्वपूर्ण हो जाएंगे।
इस लेख के अनुसार, चाहें या न चाहें, भारत, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान मध्य-पूर्व में आए इस अस्थिरता के भंवर में और गहराई तक फँस सकते हैं।
उपमहाद्वीप और खाड़ी की सुरक्षा चिंताएं आपस में किस तरह जुड़ी हैं, इस लेख में इसके पाँच कारक गिनवाए गए हैं।
पहला, जहाँ ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान हिस्से में सीमा के पास रहने वाले बलोच समुदाय के लोगों को निशाना बनाया है, वहीं पाकिस्तान ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में इसी समुदाय के लोगों को निशाना बनाया है।
ईरान और पाकिस्तान, दोनों से नाराज़गी रखने वाले इस अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े विद्रोही गुट दोनों मुल्कों की सीमा के आरपार फैले हुए हैं। इस हमले ने ये बात सामने ला दी है कि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा में स्थिरता नहीं है. इसने ईरान और पाकिस्तान दोनों की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
दूसरा अहम कारक ये कि ये विद्रोही गुट द्विपक्षीय मुद्दों में तो उलझे हैं ही, बल्कि इस इलाक़े में ताक़त के लिए चल रही अरबों, इसराइलियों और ईरानियों के बीच लड़ाई का भी हिस्सा हैं।
ये इलाक़े, जिनमें से कहीं-कहीं सरकार की पहुंच है तो कुछ स्वायत्त हैं, नशे का कारोबार, तस्करी और किसी तीसरे के समर्थन से सीमा पार आतंकवाद के पनपने के लिए उपजाऊ ज़मीन की तरह बन गए हैं। पाकिस्तान भारत को इस मुद्दे में घसीटता रहता है, वो भारत पर बलोचों से जुड़े मामलों में हस्तक्षेप का आरोप लगाता है।