इस प्रस्ताव का मसौदा अल्जीरिया द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिसके पक्ष में 13 मत पड़े और इंग्लैंड की राय भी, जिसे अंततः अमेरिका ने अस्वीकार कर दिया।
अलजीरिया ने राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में जो प्रस्ताव पेश किया था अमेरिका ने उसे भी वीटो कर दिया।
गाजा में युद्धविराम के संबंध में अलजीरिया ने अरब देशों के प्रतिनिधि के रूप में एक प्रस्ताव पेश किया था जिसे अमेरिका ने वीटो कर दिया जबकि इस प्रस्ताव के पक्ष में 13 वोट पड़े थे और अमेरिका ने इसका विरोध करके वीटो किया जिसकी वजह से यह प्रस्ताव भी पारित न हो सका।
ब्रिटेन ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया। गाजा पट्टी में युद्ध विराम के संबंध में यह तीसरा प्रस्ताव है जिसे अमेरिका ने वीटो करके पारित होने से रोक दिया।
सुरक्षा परिषद में अलजीरिया के राजदूत ने इस प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले कहा था कि फिलिस्तीनियों की जान महत्वपूर्ण है और उन्होंने युद्ध विराम करने, किसी प्रकार की रुकावट के बिना मानवीय सहायता पहुंचाने और गाजा में नस्ली सफाये को रोकने के लिए हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत के फैसले पर अमल करने की मांग की थी।
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इसी प्रकार अलजीरिया के राजदूत ने कहा था कि हम कहते हैं कि मौन धारण करना उचित विकल्प नहीं है, सुरक्षा परिषद के सदस्यों की ज़िम्मेदारी है कि वे उस प्रस्ताव के पक्ष में वोट दें जो शांति व सुरक्षा का कारण बने, इस प्रस्ताव के पक्ष में मत देना फिलिस्तीनियों को ज़िन्दगी गुज़ारने के हक का समर्थन है और इस प्रस्ताव के विरोध का अर्थ हिंसा, हत्या और फिलिस्तीनियों के नरसंहार का समर्थन है।
इसी प्रकार सुरक्षा परिषद में अलजीरिया के राजदूत ने कहा कि इस प्रस्ताव के रद्द करने का अर्थ भूख का समर्थन है जिसे हज़ारों फिलिस्तीनियों के खिलाफ एक हथकंडे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने आपसे पूछना चाहिये कि अभी और कितने निर्दोष लोगों को भेंट चढ़ना चाहिये ताकि यह परिषद युद्ध विराम को ज़रूरी समझे?
ज्ञात रहे कि राष्ट्रसंघ में अमेरिकी राजदूत ने अलजीरिया द्वारा पेश किये गये प्रस्ताव को वीटो करने के अलावा दावा किया कि आम नागरिकों की जानों की रक्षा की जानी चाहिये और मानवता प्रेमी सहायताओं तक उनकी पहुंच होनी चाहिये।