इजरायल की धरती पर सऊदी विमान की लैंडिग की खबरो अरब और इजरायली मीडिया स्रोतों में प्रमुख रूप से कवरेज दी गई है, क्योंकि पिछले मार्च में ही बिन सलमान ने कहा था कि उनके देश इजराय को एक शत्रु नहीं बल्कि संभावित सहयोगी के रूप में देखता है।
मार्च में बिन सलमान ने अमरीकी समाचार पत्र अटलांटिक द्वारा पूछे गए सवाल “क्या सऊदी अरब भी फारस की खाड़ी के दूसरे देशों का अनुसरण करते हुए इजरायल के साथ राजनीतिक संबंध स्थापित कर सकता है” के उत्तर में कहा था कि फारस की खाड़ी के देशों के बीच समझौता इस मूल पर स्थापित है कि कोई भी देश, किसी ऐसे देश के साथ राजनीतिक, रक्षा या आर्थिक समझौता नहीं करेगा जो दूसरे देशों के हितों को खतरे में डाल दे, लेकिन हर देश अपने कार्य के प्रति स्वतंत्र है. जो चाहे कर सकता है।
अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प के युग में इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंध अपने सबसे नज़दीदी स्थिति में पहुँच गए थे, यहां तक की मीडिया ने यह खबर भी चलाई थी कि इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने नियोम शहर में बिन सलमान के साथ एक गुप्त मुलाकात की है।
साथ ही आइश ग्लोबल के निदेशक रब्बी स्टीवन बर्ग ने भी कहा कि इजरायल और सऊदी अरब के बीच राजनीतिक संबंधों की स्थापना किसी भी समय हो सकती है। सऊदी अरब एक चकित कर देने वाला देश है।
उनके इस बयान और इजरायली धरती पर दूसरे सऊदी विमान की लैंडिंग की खबर आने के बाद यह अटकलें लगाई जाने लगी है कि क्या सऊदी अरब इजरायल के साथ अपने संबंधों को सार्वजनिक करने की सीमा पर पहुँच गया है।