धर्म, नस्ल, कर्मकांड और ईमानदारी के तमाम भेदों के बावजूद तीर्थ, तवाफ और नमाज के लिए दूर से मक्का आने वाले और वहां कुछ समय बिताने वालों का खुले दिल और उदारता से स्वागत किया जाता है। क्योंकि जिस तरह काबा का सम्मान करना अनिवार्य है, उसी तरह तीर्थयात्रियों और उनके मेहमानों का सम्मान करना भी अनिवार्य है।
30-06-2022, 16:07