अक्सर आपने लोगों को देखा होगा कि वे बैचेनी में पाँव हिलाने लगते हैं, टेबल बजाने लगते हैं या हिलने डुलने लगते हैं।
और जब हम लोग बच्चे थे तो हम में से बहुत कम ही लोग ऐसे होंगे, जिन्हें बैठने के दौरान हिलते-डोलते, कुर्सी पर झूलने या फिर कहीं खोए हुए दिमाग़ से पेंसिल के रबर को कुतरते रहने के लिए अपने टीचर या माता-पिता या घर के दूसरे रिश्तेदारों से डांट ना पड़ी हो या कम से कम टोका ना गया हो।
इसकी वजह यह है कि इस तरह की हरकतों से यह मतलब निकाला जाता था, हम पढ़ाई या किसी काम में ध्यान नहीं लगा रहे हैं। हमारे स्वभाव में दिक़क्त है या दूसरों का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए ऐसा कर रहे हैं।
वैसे इन हरकतों को अंग्रेज़ी में फ़िजेटिंग कहा जाता है।
फ़िजेटिंग के बारे में जो पहले राय रखी जाती थी, अब इसे अगल नज़रिए से देखा जाना चाहिए क्योंकि फ़िजेटिंग पर हुए नए शोध से पता चलता है कि फ़िजेटिंग या चंचलता या कुलबुलाहट हमें अपना स्वस्थ वज़न बनाए रखने, तनाव को मैनेज करने और संभवतः लंबे समय तक जीवित रहने में भी मदद कर सकती हैं।
फ़िजेटिंग है क्या?
आमतौर पर फ़िजेटिंग का मतलब समझा जाता है, नर्वस होकर बेचैन रहना, लेकिन इपसेन फ़ाउंडेशन के अध्यक्ष और मेयो क्लिनिक में मेडिसिन के प्रोफ़ेसर जेम्स लेवाइन का कहना है कि यह शरीर के एक हिस्से की एक लय में की जाने वाली हरकत है जो कि आपके दिमाग़ से नियंत्रित होती है।
फ़ोर्टिस हेल्थकेयर में नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के चेयरमैन डॉक्टर समीर पारिख की राय कुछ अलग है। उनके अनुसार, फ़िजेटिंग को अच्छे या बुरे के ख़ाने में रखना ग़लत है।
डॉक्टर के अनुसार, यह एक शारीरिक बीमारी के भी लक्षण हो सकते हैं।
डॉक्टर कहते हैं, “कुछ लोगों के लिए फ़िजेटिंग फ़ायदेमंद भी हो सकती है। लेकिन इस आधार पर हम कोई आम राय नहीं बना सकते हैं कि फ़िजेटिंग आपके लिए किसी बीमारी की निशानी है या आपके लिए फ़ायदेमंद है।
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मुंबई स्थित मनोरोग चिकित्सक डॉ रुक्षिदा सैय्यदा भी फ़िजेटिंग को लेकर हुए इस शोध से पूरी तरह सहमत नहीं दिखती हैं।
जिन बच्चों को खेलने कूदने का वक़्त नहीं मिलता है या खेलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है तो उनकी एक्टीविटी फ़िजेटिंग की तरह नज़र आएगी।
उनके अनुसार, फ़िजेटिंग को कई हिस्सों में बांटा जा सकता है। एक आपकी सामान्य आदत हो सकती है। लेकिन इसकी भी आशंका है कि आप किसी बीमारी के शिकार हों और यह भी संभव है कि आपकी फ़िजेटिंग बहुत प्रोडक्टिव हो। इसलिए फ़िजेटिंग को लेबल करना सही नहीं है।