ये महिलाओं को होने वाले कैंसर के चार मुख्य प्रकारों में भी शामिल है और इसकी वजह से दुनियाभर में हर साल तीन लाख से ज़्यादा महिलाओं की मौत होती है। लेकिन शोध बताते हैं कि अगर इसकी रोकथाम के लिए बनी वैक्सीन ली जाए तो सर्विकल कैंसर के मामलों में नब्बे फ़ीसदी की कमी लाई जा सकती है।
सर्विकल कैंसर से बचाने वाली इस वैक्सीन को एचपीवी वैक्सीन कहा जाता है। यहां एचपीवी का मतलब ह्यूमन पैपिलोमा वायरस है जिसे सर्विकल कैंसर के 95 फ़ीसदी से ज़्यादा मामलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है।
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जानिए एचपीवी वैक्सीन क्या है?
एचपीवी वैक्सीन नौ तरह के एचपीवी वायरस से सुरक्षा करती है। इन नौ में से दो वायरस ऐसे होते हैं जो सर्विकल कैंसर के ज़्यादातर मामलों के लिए ज़िम्मेदार होते हैं।
इनकी वजह से ज़्यादातर एनल कैंसर, जेनिटल कैंसर (जनन अंगों में होने वाला कैंसर) और सिर एवं गर्दन के कैंसर होते हैं। अध्ययनों में सामने आया है कि इस वैक्सीन की वजह से कम से कम दस साल तक एचपीवी संक्रमण से बचा जा सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञ मानते हैं कि ये टीकाकरण इससे भी ज़्यादा समय तक सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है। अब तक हुए शोध से पता चला है कि यह वैक्सीन सर्विकल कैंसर के मामलों में नब्बे फ़ीसद की कमी ला सकती है।
कब और कैसे यह वैक्सीन लगवाई जा सकती है?
अगर लड़की या लड़का एचपीवी वायरस के संपर्क में आने से पहले यह वैक्सीन लें तो ये अच्छे ढंग से काम करती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वैक्सीन सिर्फ़ संक्रमण रोक सकती है। संक्रमित हो जाने पर यह उस वायरस को बाहर नहीं निकाल सकती।
ये वायरस इतने आम हैं कि संक्रमण से बचने के लिए यौन संबंध बनाने की उम्र से पहले यानी बचपन में वैक्सीन लगाना ज़्यादा बेहतर समझा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि इस वैक्सीन की एक या दो डोज़ दी जानी चाहिए। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन्हें दो या तीन डोज़ देनी चाहिए।