सऊदी सरकार द्वारा हज के राजनीतिकरण की कोशिशों की आलोचना
दुनिया भर के मुसलमानों ने सोशल मीडिया पर हज सुरक्षित नहीं कैंपेन चलाकर हज के राजनीतिकरण करने की सऊदी अरब सरकार की नीतियों की निंदा की है।
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दुनिया के कोने कोने से हाजियों के सऊदी अरब पहुँचने की शुरुआत के साथ, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कुछ तीर्थयात्रियों के उत्पीड़न और दबाव बनाने के विरुद्ध कई अभियान शुरू किए।
#अल_हज_लैस_आमना अभियान (हज सुरक्षित नहीं है) इन अभियानों में से एक है जिसने 16 जून को अपनी गतिविधि शुरू की और अब भी मज़बूती के साथ अपनी गतिविधि जारे रखे हुए हैं।
अभियान के आयोजकों ने कहा है कि इसे शुरू करने का मुख्य लक्ष्य सऊदी अरब द्वारा हज अनुष्ठानों के राजनीतिकरण, और अल सऊद शासन द्वारा अपने विरोधियों और आलोचकों के उत्पीड़न, सताने और दबाने के लिए इस पवित्र अनुष्ठान का नजायज़ उपयोग का विरोध करना है।
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#अल_हज_लैस_आमना अभियान (हज सुरक्षित नहीं है) पवित्र स्थानों के सऊदी अरब की धरती और अल सऊद के शासन क्षेत्र में पड़ने के कारण यह इस शासन का दायित्व है कि वह तीर्थयात्रियों के सम्मान का ध्यान रखे।
इस अभियान को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिला है, और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस हैशटैग के साथ मुसलमान हाजियों विशेषकर चीन के वीगर मुसलमानों की गिरफ्तारी की निंदा की है।
साथ ही, इस अभियान ने सऊदी अधिकारियों द्वारा अन्य देशों के आलोचकों और विरोधियों को फंसाने के लिए "जाल" के रूप में हज के उपयोग की कड़ी निंदा की और तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान करने में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अक्षमता की आलोचना की है।
कैंपेन के आयोजनकर्ताओं ने जोर देकर कहा कि हज कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों के लिए सुरक्षित नहीं है, इसलिए उन्होंने सऊदी अरब की सरकार से अनुरोध किया कि वे सऊदी सरकार के साथ राजनीतिक मतभेदों के कारण उनको परेशान करना बंद करे। साथ ही आयोजनकर्ताओं ने मुसलमानों के पवित्र स्थलों के प्रबंधन पर अल सऊद परिवार के एकक्षत्र कंट्रोल की भी निंदा की है।
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साथ ही सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों ने सऊदी क्राउन प्रिंस द्वारा हज के राजनीतिकरण के की आलोचना की और उन पर हज एवं तीर्थयात्रियों के सम्मान को ठेस पहुँचाने का आरोप लगाते हुए कहाः बिन सलमान मुसलमानों को धोखा देने के लिए हज का उपयोग जाल के रूप में कर रहे हैं। हर वर्ष सऊदी अरब को हज से अरबों डॉलर का राजस्व प्राप्त होता है लेकिन उसका इस्तेमाल देश के विकास के लिए करने के बजाय, इसे अन्य देशों के खिलाफ आक्रमण पर खर्च किया जाता है। इसलिए हम यह आशा करते हैं कि सऊदी अरब के लोग इस शासक परिवार के कुकर्मों पर चुप नहीं रहेंगे।
सऊदी पत्रकार, तुर्की अल-शल्हूब ने हज और पवित्र स्थानों के "राजनीतिकरण" पर अपना कड़ा विरोध प्रकट करते हुए जोर दिया कि हज सभी मुसलमानों के लिए एक दिव्य और महान कर्तव्य है और बिन सलमान को किसी हज से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।
एक अन्य सऊदी विपक्षी "वलीद तनीफ़ान अल-ओताबी" ने भी उल्लेख किया: सऊदी अरब की हज, गैस और तेल से सैकड़ों अरबों डॉलर की आय होने का अनुमान है, जिसका उपयोग सऊदी शासक परिवार के सदस्यों के मनोरंजन के लिए किया जाता है।
उन्होंने आगे कहा: अल सऊद परिवार के सदस्यों की फिजूलखर्ची इस हद तक पहुंच गई है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस (नकली) पेंटिंग खरीदने के लिए लाखों डॉलर खर्च करते हैं।
मानवाधिकार के कार्यकर्ताओं और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं ने सऊदी अरब में चीनी वीगर मुसलमानों को गिरफ्तार करने और उनके संबंधित देशों को सौंपने में सऊदी शासन की कार्रवाई को जारी रखने की निंदा करते हुए वीगरों के साथ एकजुटता व्यक्त की और इन लोगों की रिहाई और आवश्यक समर्थन की मांग की।
#हज_सुरक्षित_नहीं_है अभियान के बयान में, सऊदी सरकार द्वारा चीन के वीगर मुसलमानों की गिरफ्तारी और उनको चीनी सरकार के हवाले करने की कार्रवाई की निंदा करने हुए हाजियों की गिरफ्तारी और उनको वापस सरकारों को लौटाने में सऊदी सरकार की नीतियों की तुलना करते हुए कहाः जबकि चीन और भारत जैसी सरकारें अपने देशों के मुसलमानों के खिलाफ किसी भी दमनकारी उपायों और भेदभावपूर्ण नीतियों से डरती नहीं हैं।
सऊदी अरब की सरकार, जो खुद को दो पवित्र मस्जिदों के संरक्षक के रूप में पेश करती है, न केवल इन देशों के कार्यों के खिलाफ मुसलमानों की रक्षा करने की स्थिति में है सकार विरोध भी नहीं किया है, और उनकी नीतियों के बारे में चुप रहे हैं। बल्कि हद तो यह है कि मुसलमानों का दमन करने वाले इन देशों के अधिकारियों का सम्मान करते हैं, जैसा कि उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी के सम्मान में दिखाया है। मोदी अपनी मुसलमान विरोधी कट्टरपंथी छवि के लिए जाने जाते हैं।
इस अभियान के आयोजकों ने दो पवित्र मस्जिदों के देश में इजरायली कंपनियों की गतिविधियों के संबंध में सऊदी सरकार की नीतियों की आलोचना की, और मांग की कि इजरायल के साथ संबंधों को तुरंत तोड़ दिया जाना चाहिए। वह इजरायल जो पिछले कई दशकों से पवित्र मस्जिद पर अवैध रूप से कब्ज़ा किए हुए हैं और फ़िलिस्तीनी मुसलमानों को मारता है।