एनकाउंटर के बाद यह प्रचारित किया गया कि मारे गए लोगों में बाहुबली राजनेता धनंजय सिंह भी थे, जिनकी गिरफ़्तारी के लिए सूचना देने वाले को 50 हज़ार रुपये का इनाम दिया जाना था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बाद में पीड़ितों के परिवारों द्वारा चारों के शवों की पहचान की गई और यह सामने आया कि धनंजय सिंह मारे गए लोगों में से नहीं थे, वास्तव में उन्होंने बाद में 2009 में जौनपुर से लोकसभा चुनाव जीता था।
भदोही के सरकारी वकील विकास नारायण सिंह ने कहा कि बरी किए गए 24 पुलिसकर्मियों में सब-इंस्पेक्टर और कॉन्स्टेबल शामिल हैं जिनमें से कई सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि किसी भी गवाह ने अभियोजन पक्ष के आरोपों का समर्थन नहीं किया और उन्हें होस्टाइल अर्थात अदालत में अपने बयान से मुकरना, घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अदालत ने सभी 26 लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
सभी 26 लोग ज़मानत पर बाहर थे। मामला 17 अक्तूबर 1998 का है। पुलिस ने शुरुआत में जांच शुरू की और राज्य सरकार के निर्देशों के बाद क्राइम ब्रांच-सीआईडी ने जांच की और बाद में हत्या के आरोप में मामला दर्ज किया।