कुल 39 अभियुक्तों में से 13 की मामले के लंबित रहने के दौरान मृत्यु हो गई थी और बाकी बचे 26 आरोपियों के ख़िलाफ मुक़द्दमा समाप्त कर दिया गया था।
पंचमहल ज़िले के हलोल के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लीलाभाई चुडासमा की अदालत ने 26 लोगों को सबूतों के अभाव में हत्या, गैंगरेप और दंगा करने के आरोपों से बरी कर दिया।
अदालत ने आदेश में कहा कि मामले के कुल 39 आरोपियों में से 13 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
आरोपी कथित तौर पर उस भीड़ का हिस्सा थे, जिसने 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती ट्रेन जलाने की घटना के बाद बंद के आह्वान के दौरान 1 मार्च, 2002 को भड़के सांप्रदायिक दंगों में उपद्रव मचाया था, उस साल 2 मार्च को कलोल पुलिस स्टेशन में आरोपियों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई थी।
अभियोजन पक्ष ने अपने तर्क के समर्थन में 190 गवाहों और 334 दस्तावेजी सबूतों की जांच की, लेकिन अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों में विरोधाभास थे और उन्होंने अभियोजन पक्ष के तर्क का समर्थन नहीं किया।
पहली मार्च, 2002 को कलोल शहर में दो अलग-अलग समुदायों के 2 हज़ार से अधिक लोगों की भीड़ धारदार हथियारों और ज्वलनशील वस्तुओं के साथ एक-दूसरे से भिड़ गई थी।
उन्होंने दुकानों को क्षतिग्रस्त कर दिया और उनमें आग लगा दी। पुलिस फायरिंग में घायल एक व्यक्ति को अस्पताल ले जाते समय टेंपो सहित ज़िंदा जला दिया गया, भीड़ ने एक मस्जिद से बाहर आ रहे एक अन्य व्यक्ति की हत्या कर दी और उसका शव मस्जिद के अंदर जला दिया।
एक अन्य घटना में देलोल गांव से कलोल की ओर आ रहे 38 लोगों पर हमला किया गया और उनमें से 11 को ज़िंदा जला दिया गया।
एफ़आईआर के अनुसार, एक महिला के साथ उस समय सामूहिक बलात्कार किया गया जब वह और अन्य लोग भागने की कोशिश कर रहे थे।
ज्ञात रहे कि जनवरी महीने में गुजरात के पंचमहल जिले के हलोल कस्बे की एक अदालत ने राज्य में 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद हुए दंगे के एक मामले में दो बच्चों सहित अल्पसंख्यक समुदाय के 17 सदस्यों की हत्या के आरोपी 22 लोगों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था।
पंचमहल ज़िले के गोधरा क़स्बे के पास 27 फरवरी, 2002 को भीड़ द्वारा साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी जलाए जाने के एक दिन बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे जिसमें 1 हज़ार 200 से अधिक लोग मारे गए थे, जिनमें ज़्यादातर मुस्लिम समुदाय के थे। बोगी जलाए जाने की घटना में 59 यात्रियों की मौत हो गई थी जिनमें से अधिकांश ‘कारसेवक’ अयोध्या से लौट रहे थे।