शिक्षा मंत्री जीतू वघानी ने शिक्षा विभाग के लिए बजटीय आवंटन पर विधानसभा में एक चर्चा के दौरान यह घोषणा की।
मंत्री ने कहा कि भगवद गीता में मौजूद नैतिक मूल्यों एवं सिद्धांतों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय केंद्र की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शैली पर लिया गया है।
उन्होंने कहा कि एनईपी आधुनिक और प्राचीन संस्कृति, परपंराओं एवं ज्ञान प्रणाली को शामिल करने की हिमायत करती है, ताकि छात्र भारत की समृद्ध और विविध संस्कृति पर गर्व महसूस कर सकें।
संवाददाताओं से बात करते हुए वघानी ने कहा कि सभी धर्मों के लोगों ने इस प्राचीन हिंदू ग्रंथ में रेखांकित किए गए नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों को स्वीकार किया है।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, भगवद गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने के फ़ैसले का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने स्वागत किया है।
इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंग रावल ने कहा कि हम श्रीमद् भगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय का स्वागत करते हैं लेकिन गुजरात सरकार को भी श्रीमद भगवद गीता से ही सीखने की ज़रूरत है।
गुजरात में आम आदमी के प्रवक्ता योगेश जादवानी ने राज्य सरकार के फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि हम गुजरात सरकार के फ़ैसले का स्वागत करते हैं, इससे छात्रों को फायदा होगा।
दूसरी ओर कर्नाटक के माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने कहा कि ऐसा कोई भी निर्णय करने से पहले राज्य सरकार शिक्षाविदों के साथ चर्चा करेगी।
नागेश ने संवाददाताओं से कहा कि गुजरात में नैतिक विज्ञान को पाठ्यक्रमों में तीन से चार चरणों में शामिल करने फ़ैसला किया गया है, पहले चरण में वे भगवद गीता को शामिल करेंगे, यह बात मेरे संज्ञान में आई है, हम नैतिक विज्ञान को पाठ्यक्रम में शामिल करने के संदर्भ में मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई से चर्चा करने के बाद कोई फैसला करेंगे।