पिछले आठ सालों से एक क़ौम को टारगेट किया गया हर क़दम पर उसे ज़लील करने की कोशिशें की गयीं, और एक तबक़े को ख़ुश कर अपने वोट बैंक को संभाले रखने के लिये उसपर हर तरह के ज़ुल्म किये गये, कभी मॉबलिंचिंग में मारा गया, कभी गाय और जय श्रीराम के नाम पर उसे पीट पीट कर मारा गया, उसकी इबादतगाहों को निशाना बनाया गया, लेकिन हमेशा वो ख़ामोश रहे और सब्र से काम लिया और अपने वतन के आईन का ख़्याल किया, पर आपने इंसाफ़ नहीं किया.!
इलाहाबाद में जिस बच्ची का आज घर ज़मींदोज़ कर दिया गया उसका क्या क़ुसूर था ? पत्थर किसने चलाया जाँच करो और उसके ख़िलाफ़ सख़्त से सख़्त कार्यवाही करो, लेकिन किसी का घर गिराने का हक़ किसने दिया आपको ?
अगर वो भी आरोपी थी तो आप उसे गिरफ़्तार करते, मुक़दमा चलाते अदालत उसे सज़ा देती ! क्या अब सरकारें सज़ा देंगी.?
फिर क्या ज़रूरत है इन अदालतों की ज़मींदोज़ कर दो इन अदालतों को ! सारे काम अब तुम ही करो.!
जो हुआ वो नहीं होना था, जिसने उपद्रव किया पत्थर चलाये उनके ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही करनी थी, अदालतों से उन्हें सज़ायें होतीं, जेल जाते जो क़ानून और संविधान का तरीक़ा था.!
पच्चीसों साल से जिस घर का वाटर और हाउस टैक्स सरकार वसूलती आयी आज अचानक वो घर अवैध हो गया.?
याद रखना जब ज़मीन वाले इंसाफ़ नहीं करते तो फिर आसमान वाला इंसाफ़ ज़रूर करता है और वो दिन बहुत क़रीब है.!
याद रहे देश की 30 करोड़ आबादी के साथ देश की एक बड़ी आबादी इस वक़्त बेचैन है और इतनी बड़ी आबादी को बेचैन करके आप देश में अम्न बिल्कुल नहीं क़ायम कर सकते.!