क्या गाय का दूध बच्चों के लिए हानिकारक है?
इसमें कोई दो राय नहीं कि हड्डियों के लिए कैल्शियम बहुत ज़रूरी है। लेकिन क्या ज़्यादा कैल्शियम वाले खान-पान हड्डियां टूटने से रोकने में मददगार होते हैं, आये जानते है कुछ ऐसी रिसर्च के बारे में जो दूध के बारे में की गई है।
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गाय का दूध प्रोटीन और कैल्श्यिम का मुख्य स्रोत है। साथ ही, इस के ज़रिए हमें विटामिन B-12 और आयोडीन काफ़ी मात्रा में मिलता है। इसमें मैग्नीशियम भी होता है जो हड्डियों के बढ़ने और मांसपेशियों के काम करने में मददगार होता है। रिसर्च में पाया गया है कि मट्ठा और कैसीन जैसे दुग्ध उत्पाद ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करते हैं।
ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस कहती है कि एक साल से तीन साल तक के बच्चों में हड्डियों के सही विकास के लिए 350 मिलिग्राम कैल्शियम रोज़ाना लेना चाहिए। ये बस एक गिलास दूध रोज़ पीने से मिल जाता है लेकिन वयस्कों की हड्डियां स्वस्थ रखने में गाय का दूध कितना कारगर होता है, इस पर रिसर्च अलग अलग नतीजे पर पहुंची हैं।
स्वीडन में हुई एक रिसर्च के मुताबिक़, जो महिलाएं आधे गिलास से कम दूध प्रति दिन लेती हैं उनमें हड्डी टूटने की ख़तरा ज़्यादा होता है। हालांकि इस रिसर्च को करने वाले सतर्कता बरतते हुए ये बात कहते हैं। इनकी एक धारणा ये भी है कि जिन महिलाओं में हड्डियां टूटने की प्रवृत्ति ज़्यादा होती है वो ज़्यादा दूध पीती हैं।
लेकिन, किशोरावस्था में कैल्शियम हमारी हड्डियों के विकास के लिए बहुत ज़रूरी है। इस उम्र में अगर हमारी हड्डियां ठीक से विकसित नहीं हो पाती हैं, तो अधेड़ावस्था के बाद से हमें हड्डियों से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं। ख़ास तौर से महिलाओं को इसकी कमी ज़्यादा महसूस होती है।
मासिक धर्म बंद होने के बाद उन में ओस्ट्रोजेन हारमोन का रिसाव बंद हो जाता है। जिससे हड्डियों की मरम्मत का काम धीमा हो जाता है। इसीलिए महिलाओं की हड्डियां काफ़ी कमज़ोर हो जाती हैं।
दूध को लेकर स्वास्थ्य चिंताएं
हालिया दशकों में दूध को लेकर एक और चिंता ज़ाहिर की जा रही है। गाय गर्भावस्था में भी दूध देती है। लेकिन, इस दौरान दूध में ओस्ट्रोजेन हारमोन की मात्रा 20 गुना ज़्यादा है। ओस्ट्रोजेन की ज़्यादा मात्रा का ताल्लुक़ कैंसर से पाया गया है।
रिसर्चर महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, और गर्भाश्य के कैंसर से इसका सीधा संबंध देखते हैं। लेकिन अमरीका की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी की रिसर्चर लॉरा हर्नांडेस का कहना है कि गाय के ओस्ट्रोजेन वाले दूध से डरने की ज़रूरत नहीं है। महिला के दूध में भी हार्मोन होते हैं। ये स्तनधारियों का एक हिस्सा है।
दूध में चिकनाई की मात्रा ज़्यादा होती है। लिहाज़ा, ये धारणा है कि दूध ज़्यादा पीने से दिल की बीमारियां होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
रिसर्च बताते हैं कि दूध में सिर्फ़ 3।5 फ़ीसद चिकनाई होती है। हल्की मलाई निकाले दूध में क़रीब 1।5 फीसद जबकि स्किम्ड मिल्क में 0।3 फ़ीसद ही चिकनाई होती है। बिना मिठास वाले सोया, बादाम, गांजा, नारियल, ओट और चावल से बने ड्रिंक में दूध से भी कम चिकनाई होती है।
फिनलैंड यूनिवर्सिटी की प्रोफ़ेसर जेरिका विरतानेन का कहना है कि दूध में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन होता है। जो लोग ज़्यादा दूध पीते हैं उनकी भूख दूध से ही ख़त्म हो जाती है। लिहाज़ा वो लोग अन्य पौष्टिक आहार नहीं लेते। जिसकी वजह से उन में दिल की बीमारियां ज़्यादा होने का ख़तरा बढ़ जाता है।
वो कहती हैं, सिर्फ़ दूध के सहारे रहना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। संतुलित मात्रा में लिया तो बुरा भी नहीं है। यहां तक कि जो लोग दूध की मिठास पचा नहीं पाते, वो भी कभी- कभी उचित मात्रा दूध ले सकते हैं। ये बात रिसर्च में साबित भी हो चुकी है।
फिर भी एक बड़ी आबादी ऐसी है जो गाय का दूध पीना पसंद नहीं करती और दूसरे विकल्पों की और बढ़ रही है। सोया मिल्क गाय के दूध का सबसे अच्छा विकल्प है।
यही एक ऐसा विकल्प है, जिसमें गाय के दूध के बराबर प्रोटीन होता है। अन्य तरह के वैकल्पिक दूध में कई तरह कि कमियां हो सकती हैं, जो वयस्कों के लिए तो ठीक हैं लेकिन बच्चों के लिए मुफ़ीद नहीं है।