डिलीवरी के दौरान या बाद में किसी भी महिला को PPH हो सकता है। हर महिला में इसके अलग-अलग लक्षण और कारण देखने को मिलते हैं।
पीपीएच यानी पोस्ट पार्टम हेमरेज एक कॉम्लीकेशन है, जो महिलाओं को डिलीवरी के दौरान और बाद में हो सकती है। आमतौर पर यह डिलीवरी होने के बाद ही होती है। इसके अधिकतर मामले सिजेरियन डिलीवरी में देखें गए है। आज हम इस लेख में जानने की कोशिश करेंगे कि PPH क्या है? क्या इस कंडीशन से बचा जा सकता है? हमने इन सवालों के सही जवाब जानने के लिए गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर शिखा गुप्ता से बातचीत की है। उन्होंने बताया है कि भारत में हर 10,000 में 100 महिलाओं में डिलीवरी के दौरान या बाद में PPH के मामले देखने को मिलते हैं। आइए जानते हैं पोस्ट पार्टम हेमरेज से जुड़ी सभी तरह की जानकारी।
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पीपीएच यानी पोस्ट पार्टम हेमरेज यानी डिलीवरी के बाद बहुत अधिक ब्लीडिंग होना। डिलीवरी के बाद यूट्रस प्लेसेंटा को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है, लेकिन कुछ केस में यह सिकुड़ना बंद कर देता है, जिस कारण ब्लीडिंग होने लगती है। इसे प्राइमरी पीपीएच कहा जाता है। जब प्लेसेंटा के छोटे-छोटे टुकड़े यूट्रस में जुड़े रह जाते हैं, तो बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है। इस स्थिती में अधिक खून बहने से महिला की मृत्यु भी हो सकती है। एक्सपर्ट के अनुसार 24 घंटे के अंदर 1000 मिलीलीटर से अधिक रक्त का रिसाव होता है, तो इसे गंभीर पीपीएच माना जाता है।
लक्षण
पीपीएच के लक्षण हर महिला में अलग-अलग हो सकते हैं। एक्सपर्ट के अनुसार ये कुछ सामान्य लक्षण है जिसका ध्यान रखना चाहिए।
अधिक ब्लीडिंग जो कंट्रोल न हो सके
ब्लड प्रेशर गिरना
हार्ट रेट बढ़ना
वजाइना और पेरिनियल रीजन के टिशूज में दर्द
रेड ब्लड सेल काउंट का कम होना
ब्लीडिंग का कारण
डिलीवरी के बाद सामान्य ब्लीडिंग होती है। क्योंकि गर्भाशय, प्लेसेंट को बाहर निकालने के लिए सिकुड़ता है। कुछ केस में सर्वाइकल या वजाइनल टिशू का फट जाना या ब्लड वेसल्स का फट जाना, प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर जैसे कारण हो सकते है। इसके अलावा गर्भाशय का फटना और जिन्होंने पहले सिजेरियन सर्जरी करवाई है।
सोर्स : हर ज़िन्दगीं