उन्होंने रेखांकित किया कि नयी दिल्ली के बीजिंग के साथ संबंध ‘‘सामान्य नहीं’’ हैं और मुख्य मुद्दों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जयशंकर ने पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए यह भी कहा कि भारत को बातचीत की मेज पर लाने के लिए आतंकवाद को उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
उन्होंने कहा कि भारत के सामने अपनी सीमाओं पर चुनौतियां हैं, जो कोविड काल के दौरान तीव्र हो गईं।
उन्होंने कहा कि आज चीन के साथ हमारे संबंधों की स्थिति बहुत सामान्य नहीं है, क्योंकि हम वास्तविक नियंत्रण रेखा को एकतरफा बदलने के किसी भी प्रयास के लिए कभी सहमत नहीं होंगे।
जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि कोई भी देश आतंकवाद से भारत जितना पीड़ित नहीं है।
उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि हम सभी के साथ अच्छे पड़ोसी संबंध चाहते हैं लेकिन अच्छे पड़ोसी संबंधों का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद के मुद्दे को दरकिनार कर दिया जाए। हम बहुत स्पष्ट हैं। जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में मोदी सरकार की नीतियों और प्रदर्शन से यह बहुत स्पष्ट है कि मुख्य मुद्दों पर कोई समझौता नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि मैं कह सकता हूं कि इस समय दुनिया को भारत से बहुत उम्मीदें हैं। क्योंकि आज हमें एक मजबूत अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है, एक ऐसे देश के रूप में जो दुनिया के सामने मौजूद समस्याओं को हल करने में योगदान देगा।
ज्ञात रहे कि भारतीय सेना के अनुसार, नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे, जिसमें 'दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं'। जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण झड़प के बाद से भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच यह पहली बड़ी झड़प थी। दोनों पक्षों के बीच सीमा गतिरोध को सुलझाने के लिए 17 दौर की बातचीत हो चुकी है जिसका कोई ध्यानयोग्या परिणाम नहीं निकला है।