सुबह के सात बजे तापमान -2 डिग्री है। मगर तुर्की वाले बॉर्डर की तरफ़ भीड़ जमा हो रही है. हर पांच-दस मिनट पर कोई गाड़ी या छोटी वैन आकर लोगों को छोड़ जाती हैं।
इनमें बच्चे हैं, बूढ़े हैं और जवान भी हैं। पुरुष हैं, महिलाएँ हैं। सभी के पास बस उतना ही सामान है जितना वे अपने उजड़ चुके घरों से निकालकर ला सके हैं। एकाएक एक कार रुकती है जिसमें से पांच लोग उतरते हैं। ये लोग ड्राइवर को अलविदा कहते हैं।
इस परिवार का दो मंज़िला घर भूकंप के झटके से ढह चुका है और पांचों लोग टेंट में रह रहे थे। पेशे से स्कूल टीचर उबैद हराक़ ने तय किया कि उन्हें अपनी छत चाहिए।
उबैद ने कहा, "तुर्की में मेरा कुछ नहीं बचा, अब मैं अपने माता-पिता के पास इदलिब जा रहा हूँ, लौट सकूँगा कि नहीं, ये भी नहीं पता। नया घर बनाने के लिए कुछ बचा भी नहीं है"।
तुर्की में रहने वाले सैकड़ों सीरियाई नागरिक हाल ही में आए विनाशकारी भूकंप के बाद अपने देश वापस लौट रहे हैं। तुर्की सरकार ने उन सीरियाई नागरिकों को जाने की इजाज़त दी है जिनके पास आईडी कार्ड हैं और जिन्हें छह महीने तक अपने देश में रहने की मोहलत मिली है।
बॉर्डर पर डर और तनाव
लेकिन बॉर्डर पर भी डर का माहौल है और तनाव बना हुआ है। पिछले दिनों में कई झड़पें भी हो चुकी हैं क्योंकि जिनके पास आईडी कार्ड नहीं है उन्हें लौटाया जा रहा है।
सीरिया में 12 साल पहले शुरू हुए गृह युद्ध के बाद से क़रीब 40 लाख सीरियाई नागरिक तुर्की आकर रह रहे हैं। कुछ सीरियाई लोगों का ये भी कहना है कि भूकंप के बाद तुर्की में उन्हें शरण मिलने में दिक़्क़त आ रही है।
61 साल के जलाल दाग़ली पिछले कई वर्षों से तुर्की के अंताक्या शहर में रह रहे थे। ये वो शहर है जहां 6 फ़रवरी को दो बार आए भयावह भूकंप ने बहुत बुरा नुक़सान पहुँचाया है।
जलाल दाग़ली ने अपने मोबाइल में परिवार के सदस्यों के शव की तस्वीरें दिखाते हुए बताया, "मेरी पत्नी, चारों बच्चे और मेरे भाई के परिवार के सभी छह लोग मलबे में दब गए। चार दिन बाद उनके शव निकाले जा सके। सीरिया में मुझे ये भी नहीं पता कि मेरे रिश्तेदार ज़िंदा हैं या नहीं। किसी का फ़ोन नहीं उठ रहा है। पता नहीं कहाँ रहूंगा, आगे ज़िंदगी में क्या होने वाला है, नहीं पता। लेकिन तुर्की लौटना मुश्किल है"।