इसके बाद कुछ लोग यहां तक कहने लगे कि पीएम मोदी के पुरस्कार जीतने की संभावना है।
द टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक ट्वीट में लिखा कि नोबेल समिति के डिप्टी लीडर एसले टोजे ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए पीएम मोदी बड़े दावेदार हैं। यह ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया गया।
इकोनॉमिक टाइम्स ने कई ट्वीट्स में यही दावा किया। अब ये सभी ट्वीट्स डिलीट किए जा चुके हैं। एक ट्वीट में इकोनॉमिक टाइम्स ने दावा किया था कि एसले टोजे ने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें ‘दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा कहा है।
टाइम्स नाउ के एक एंकर ने एसले टोजे का हवाला देते हुए कहा कि 2024 के चुनावों से पहले पीएम मोदी ‘नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार हैं, साथ ही वो दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा हैं, आगे एंकर ने कहा कि एसले टोजे के मुताबिक, पीएम मोदी युद्ध रोकने के लिए सबसे भरोसेमंद नेता थे और ‘सिर्फ वो ही शांति स्थापित कर सकते हैं।
मिंट, वनइंडिया हिंदी, मिड डे, सीएनबीसी-टीवी 18, डेलीहंट, ज़ी पंजाब, एबीपी माझा टीवी, लोकसत्ता लाइव, एशियानेट सुवर्णा न्यूज़, न्यूज़7 तमिल, ओटीवी और एनडीटीवी तेलुगू जैसे अन्य मीडिया संगठनों ने भी यही दावा ट्वीट किया।
राइट विंग प्रोपगंडा आउटलेट ऑपइंडिया और आरएसएस द्वारा संचालित पाञ्चजन्य ने भी यही दावा ट्वीट कर किया। ऑपइंडिया ने इस ख़बर को अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में रिपोर्ट किया।
टाइम्स नाउ के एडिटर-इन-चीफ राहुल शिवशंकर ने थोड़ा और आगे बढ़कर ये दावा किया कि एसले टोजे ने ख़ुद को ‘मोदी का बड़ा प्रशंसक’ बताया और ज़ाहिरी तौर पर ये कहा कि मोदी ‘आज दुनिया में शांति का सबसे विश्वसनीय चेहरा’ है, बाद में उन्होंने भी ट्वीट डिलीट कर दिया।
बीजेपी गुजरात के प्रदीपसिंह जडेजा ने भी यही दावा करते हुए कहा कि ये भारत के लिए गौरव का पल है. भाजपा चंडीगढ़ के राज्य सचिव तजिंदर सिंह सरां और भाजपा दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने भी यही दावा किया।
16 मार्च को पत्रकार राना अयूब ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एसले टोजे के एक इंटरव्यू का एक वीडियो शेयर किया, इसमें वो कहते हैं कि मीडिया में उनके नाम से एक झूठा बयान शेयर किया जा रहा है, उन्हें ये कहते हुए सुना जा सकता है कि उनके बारे में एक ‘फ़र्ज़ी ख़बर’ ट्वीट की था और यूजर्स से इस पर चर्चा न करने या ‘इसे हवा न देने’ का आग्रह किया।