अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की जनवरी माह में प्रकाशित एक रिपोर्ट के बाद अडानी समूह को भारी नुकसान हुआ था और 140 बिलियन डॉलर से अधिक की बाज़ार पूंजी में कमी आई थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की एक पीठ ने पिछले 2 मार्च को बाज़ार नियामक सेबी को दो महीने के भीतर अपनी जांच समाप्त करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
सेबी ने कहा है कि 12 संदिग्ध लेन-देन से संबंधित जांच के संबंध में, प्रथमदृष्टया यह देखा गया है कि ये लेन-देन जटिल हैं और इनमें कई उप लेन-देन हैं और इन लेन-देन की बारीकी से जांच करने की जरूरत होगी।
सेबी ने कहा कि सामान्य तौर पर इस तरह के लेन-देन की जांच में कम से कम 15 महीने का समय लगेगा, लेकिन वह इसे छह महीने के भीतर समाप्त करने के लिए सभी उचित प्रयास कर रहा है।
सेबी ने कहा कि 12 ‘संदिग्ध लेन-देन’ पर ग़ौर करने के अलावा उसने और भी संभावित उल्लंघन पाए हैं।
नियामक ने कहा कि निर्णायक निष्कर्ष पर पहुंचने और कुछ विश्लेषणों को फिर से सत्यापित करने के लिए कम से कम छह महीने की आवश्यकता होगी।
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 8 मई को होने की उम्मीद है।
अडानी समूह ने एक बयान में कहा कि वह जांच का स्वागत करता है, ‘जो सभी पक्षों को सुनने और सभी मुद्दों से निपटने का एक उचित अवसर प्रदान करती है।