इंग्लैण्ड में राजशाही के अस्तित्व में आने के दिन से लेकर आज तक हमेशा इस व्यवस्था के प्रबल विरोधी रहे हैं। 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में ब्रिटिश राजाओं ने अपनी बादशाही को बचाए रखने के लिए दिखावे के तौर पर ही सही लेकिन अपनी शक्ति को कम करने और उसके राष्ट्रपति को देने की कोशिश की है।
हालांकि आंकड़े और सर्वेक्षण बताते हैं कि 50 साल से कम उम्र के अधिकांश अंग्रेज राजशाही से खुश नहीं हैं और एक गणतंत्र सरकार चाहते हैं।
जैसा कि हमने किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक के दिन भी देखा कि बहुत से लोगों ने उनको अपना किंग मानने से इनकार करते हुए प्रदर्शन किया।
इस तस्वीर में, चार्ल्स द एल्डर के राज्याभिषेक समारोह में उपस्थित लोगों के एक समूह ने लिखा: "आप मेरे राजा नहीं हैं"
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इग्लैंड में राजशाही का विरोध एक ऐसा मुद्दा है जिससे आज अधिकांश अंग्रेज सहमत हैं, लेकिन इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराने के बारे में कोई बात नहीं करता है। ..
जबकि 70% से अधिक ब्रिटिश लोग अपने देश में गणतांत्रिक प्रणाली चाहते हैं।
आर्थिक संकट से जूझ रहे देश में किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक पर 100 मिलियन पाउंड से अधिक का खर्चा आया है!
दुनियाभर से आए मेहमानों के अलावा टीवी और इंटरनेट के ज़रिए करोड़ों लोग इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का गवाह बने। आर्चबिशप ने एबे और घर पर इस कार्यक्रम को देख रहे लोगों से कहा है कि वह इन शब्दों के साथ किंग चार्ल्स III के प्रति निष्ठा की शपथ लें।
वो शब्द थे, "मैं शपथ लेता हूं कि मैं योर मैजेस्टी, उनके उत्तराधिकारी और कानून के प्रति सच्ची निष्ठा रखूंगा" इस कार्यक्रम का ख़ुफ़िया नाम 'ऑपरेशन गोल्डेन ऑर्ब' रखा गया था। चार्ल्स को महारानी एलिज़ाबेथ के देहांत के तीन दिन बाद औपचारिक रूप से सम्राट घोषित किया गया था।
किंग चार्ल्स III ने वेस्टमिंस्टर एबे में कहा कि 'मैं यहां सेवा लेने नहीं सेवा करने आया हूं।
किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक में फ़्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों और अमेरिका की फ़र्स्ट लेडी जिल बाइडन भी मौजूद रहे।