केदारनाथ को हिन्दुओं के पवित्र चार धामों में से एक माना जाता है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में जिन बारह ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख है, केदारनाथ उनमें सबसे ऊंचाई पर स्थित ज्योतिर्लिंग है।
केदारनाथ मंदिर के पास ही मंदाकिनी नदी बहती है। गर्मियों में यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्री और पर्यटक आते हैं।
यह मंदिर क़रीब एक हज़ार साल पुराना बताया जाता है जिसे चतुर्भुजाकार आधार पर पत्थर की बड़ी बड़ी पट्टियों से बनाया गया है। इसमें गर्भगृह की ओर ले जाती सीढ़ियों पर पाली भाषा के शिलालेख देखने को मिलते हैं।
यह मंदिर गर्मियों के दौरान क़रीब छह महीने के लिए ही खुला रहता है, सर्दियों में इसे बंद कर दिया जाता है। सर्दियों में यहां भारी बर्फ़बारी होती है जिससे यह बर्फ़ की एक मोटी परत से ढक जाता है।
मान्यता है कि देश भर में अद्वैत वेदान्त के प्रति जागरूकता फ़ैलाने वाले हिंदुओं के प्रसिद्ध संत आदि शंकराचार्य ने चारों धामों की स्थापना के उपरांत 32 वर्ष की आयु में इसी स्थान पर समाधि ली थी।
उत्तराखंड में स्थित गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा को चार धाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। हिंदुओं में धार्मिक तीर्थयात्रा के रूप में इसकी बहुत मान्यता है।
हिमालय की पश्चिम दिशा में उत्तरकाशी ज़िले में स्थित यमनोत्री चार धाम का पहला पड़ाव है। चार धाम के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालु पहले यमनोत्री फिर गंगोत्री और फिर बद्रीनाथ और केदारनाथ जाते हैं।