देश के कई इलाके जहां तेज बारिश और बाढ़ से जूझ रहे हैं वहीं बिहार बारिश की कमी का सामना कर रहा है। बहुत कम बारिश के कारण धान की ही रोपनी बुरी तरह प्रभावित हुई है, इससे लाख़ों किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
बिहार में क़रीब 36 लाख़ हेक्टेयर में इस साल धान की खेती होनी थी लेकिन बारिश नहीं होने से धान की आधी रोपनी नहीं हो पाई है। वहीं अब पानी की कमी से कई इलाक़ों में बिचड़े भी मरने लगे हैं।
बांका के छतहर पंचायत के मिर्ज़ापुर गांव के धर्मेंद्र मिश्र कहते हैं कि उनके इलाक़े में इस साल अब तक सिर्फ़ एक फ़ीसदी धान की रोपनी हो पाई है।
किसानों के सामने छाया अंधेरा
झारखंड के देवघर सीमा के पास मौजूद बांका से बिहार में गंगा के किनारे सुलतानगंज तक का बड़ा इलाक़ा धान की खेती के लिए मशहूर रहा है। लेकिन मौसम की मार से यहां के किसान मायूस हैं।
धर्मेंद्र मिश्र कहते हैं, "इस बार पूरा का पूरा बिहार सूख गया है. हर जगह पानी की कमी हो जाए फिर भी हम डंका बजाते थे कि हमारे यहां पानी की कमी नहीं है। लेकिन इस बार हमारे गांव में भी पानी ख़त्म हो गया है। जिन किसानों की रोज़ी रोटी का आधार ही खेती है, वो क्या करेंगे।
धर्मेंद्र मिश्र के पास क़रीब 5 बीघा खेत है, जिनमें वो धान की खेती करते हैं। उनका कहना है कि अगर अगले चार-पांच दिन तक बारिश नहीं हुई तो इस साल इलाक़े में धान की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी।
बिहार के जमुई ज़िले के कोराने गांव के भरत राय के सामने भी ऐसी ही समस्या है। भरत के पास क़रीब चार बीघा खेत हैं, लेकिन बारिश न होने से अब तक वो धान के पौधे की रोपनी शुरू नहीं कर पाए हैं।
भरत राय कहते हैं, "हमारे पास अपना कुआं है लेकिन इससे मुश्किल से पीने का पानी ही मिल पाता है, सिंचाई कहां से होगी। बारिश नहीं होने से अब तो बीज भी मरने लगे हैं।"
मौसम विभाग के मुताबिक़ बिहार के बांका में औसत से क़रीब 40 फ़ीसदी कम बारिश हुई है जबकि जमुई में यह क़रीब 46 फ़ीसदी कम है।
औसत से आधी बारिश
मौसम विज्ञान केंद्र पटना के प्रमुख वैज्ञानिक आशीष कुमार ने बताया है कि 27 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक़ राज्य में इस मौसम में औसत से क़रीब 47 फ़ीसदी कम बारिश हुई है।
राज्य में सूखे से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला सीतामढ़ी है जहां औसत से 82 फ़ीसदी कम बारिश हुई है। वहीं, शिवहर में 74%, पूर्वी चंपारण में 69% और सहरसा में 66 फ़ीसदी कम बारिश हुई है।
राज्य में बारिश की कमी का आलम यह है कि बिहार के दस ज़िलों में औसत से 60 से 82 फ़ीसदी तक कम बारिश हुई है। जबकि राज्य के 38 में से 16 ज़िलों में औसत के मुक़ाबले आधी बारिश भी नहीं हुई है।