चंद्रयान-3 की कामयाबी पर पाकिस्तान को क्यों है मलाल
कुछ मुल्कों के झंडों पर चाँद है तो वहीं कुछ मुल्कों के चाँद पर झंडें है। जी हां भारत के चंद्रयान-3 के लैंडर ने सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव में सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है।
Table of Contents (Show / Hide)
![चंद्रयान-3 की कामयाबी पर पाकिस्तान को क्यों है मलाल](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-08/thumbs/1692873589_3.webp)
चंद्रयान मिशन पर सबसे ज़्यादा चर्चा पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फ़वाद चौधरी के ट्वीट की थी। फ़वाद चौधरी इमरान ख़ान की सरकार में सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री थे। फ़वाद चौधरी ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग को पाकिस्तान में लाइव दिखाने की बात कही। उन्होंने इसे मानव जाति के लिए ऐतिहासिक पल भी बताया।
लेकिन साल 2019 में जब भारत ने चंद्रयान-2 मिशन चांद पर भेजा था। तब फ़वाद चौधरी ने इसका मज़ाक बनाया था। उस समय फ़वाद चौधरी ने कहा था कि भारत को चंद्रयान जैसे फालतू मिशन पर पैसे बर्बाद करने की बजाय देश में ग़रीबी पर ध्यान देना चाहिए।
हालांकि, इस्लामाबाद के आम लोगों की राय इस पर स्पष्ट है। इन लोगों का मानना है कि पाकिस्तान अब काफ़ी पीछे रह गया है।
यह भी पढ़े: कल खो जाएगा चांद, धरती पर सिर्फ 6 घंटे का होगा दिन!
पाकिस्तान की न्यूज़ वेबसाइट फ्राइडे टाइम्स ने चंद्रयान-3 की कामयाबी से पहले विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ सलमान हामीद का एक लेख 'चंद्रयान-3 और पाकिस्तान' शीर्षक से छापा है
इस लेख में सलमान हामीद ने लिखा है कि 1960 के दशक में पाकिस्तान का अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम था लेकिन चीज़ें ख़राब होती गईं और भारत कहाँ से कहाँ चला गया।
सलमान ने लिखा है, ''मुझे याद है कि 2019 में भारत का चंद्रयान-2 नाकाम रहा था तो पाकिस्तान के तत्कालीन विज्ञान मंत्री फ़वाद चौधरी ने मज़ाक उड़ाया था। उन्हें पता होना चाहिए कि विज्ञान में नाकामी अहम हिस्सा है और इसी से कामयाबी की राह खुलती है। पाकिस्तान में मून मिशन को लेकर कोई ज़िक्र तक नहीं होता है।''
एक स्थानीय शख्स ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा, "इंडिया हमसे थोड़ा नहीं, बहुत आगे है। पहले इंडिया हमसे पीछे था। बांग्लादेश को आप देख लें। इनके सेटेलाइट हमसे बहुत आगे हैं। हम लोग बहुत पीछे रह गए हैं।
यह भी पढ़े: पूरी दुनिया की नजर भारत के चंद्रयान 3 पर : मिशन में शामिल हैं यूपी के वैज्ञानिक
कराची में एक शख्स ने भारत की तारीफ़ करते हुए कहा, "एक पाकिस्तानी होने के नाते हमें सिखाया गया है कि इंडिया से नफ़रत करनी चाहिए। ये विवादित लग सकता है लेकिन मैं भारत के लिए ख़ुश हूँ। हमारा रहन-सहन, खाना, त्योहार और भाषा एक सी है। लेकिन फिर भी हमें भारत से नफ़रत करना सिखाया गया है। मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन मैं भारत के लिए खुश हूं कि उसने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।"
वहीं कुछ लोग पाकिस्तान की बदहाली के लिए वहां की सरकारों की ख़राब नीतियों को वजह बताते हैं।
एक स्थानीय बुज़ुर्ग ने पीटीआई से कहा, "इंडिया की सैटेलाइट चाँद तक तो क्या, मरीख़ (मंगल ग्रह) तक भी पहुँच सकती है। उनकी नीतियां ऐसी हैं कि उनका जो भी हुक्मरां होते हैं वो मुल्क के लिए सोचते हैं जबकि हमारे यहाँ हुक्मरां अपने लिए, अपने परिवार के लिए सोचते हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने एक लंबे से ट्वीट में लिखा है, "पाकिस्तानियों को ये समझने की ज़रूरत है कि भारत और पाकिस्तान में असल फ़र्क़ क्या है। हम आमतौर पर एक जैसी सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक समस्याओं से जूझते हैं लेकिन जो वाक़ई अलग है वो है लेवल।'
''उदाहरण के लिए इसरो का सालाना बजट 1.5 अरब डॉलर है. ये भारत के कुल बजट में 0.3 फ़ीसदी से भी कम है। सुपरको को दस सालों के लिए एक अरब डॉलर दीजिए और वो भी आपको वहां ले जाएंगे, जहाँ आप जाना चाहें। भले ही उसका प्रमुख कोई जनरल (सैन्य अधिकारी) हो। लेकिन ये भारत की तुलना में बहुत ही छोटी अर्थव्यवस्था और आबादी वाले देश के लिए बड़ी लागत है।