ब्रिटेन के प्रमुख भारतीय छात्र प्रतिनिधि संगठनों में से एक ने गुरुवार को पोस्ट-स्टडी ग्रेजुएट रूट वीजा के पक्ष में एक नया "फेयर वीजा, फेयर चांस" अभियान शुरू किया है। यह संगठन लगभग तीन वर्षों पहले लॉन्च होने के बाद से भारत के छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय साबित हुआ है।
नेशनल इंडियन स्टूडेंट्स एंड एलुमनी यूनियन (NISAU) यूके, जिसने मूल रूप से उस वीज़ा के लिए अभियान चलाया था, जो इंटरनेशनल ग्रेजुएट्स को उनकी डिग्री के बाद दो साल के लिए वर्क एक्सपीरियंस हासिल करने का मौका देता है। इनको डर है कि नए नियमों को लेकर हो रहे विचार-विमर्श में इस वर्क एक्सपीरियंस वीजा को खत्म किया जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री ग्रुप (एपीपीजी) के सह-अध्यक्ष और एनआईएसएयू यूके के संरक्षक लॉर्ड करन बिलिमोरिया ने कहा, "दो साल तक पोस्ट-ग्रेजुएशन के लिए काम करने की क्षमता अंतरराष्ट्रीय छात्रों को उनकी डिग्री के लिए भुगतान करने के लिए पैसे कमाने में मदद करती है और कुछ को मूल्यवान कार्य अनुभव प्राप्त करने के साथ-साथ यूके के साथ मजबूत संबंध बनाने में सक्षम बनाती है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि ग्रेजुएट रूट को कम कर दिया गया तो ब्रिटेन "अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा होगा", क्योंकि अंतरराष्ट्रीय छात्र ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में 42 अरब जीबीपी का योगदान करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के 2020-21 समूह के लिए इस अभियान के फिर से लॉन्च के बाद गृह कार्यालय का कहना है कि इसके तहत कुल 213,250 वीजा दिए गए हैं और इसमें छात्रों के सबसे बड़े समूह के रूप में भारतीयों का लगातार दबदबा रहा है। हालांकि, नए नियमों के कारण इसमें पिछले साल के मुकाबले 43 प्रतिशत तक की कमी हो सकती है।
बता दें कि भारतीय छात्रों में पहले से ही ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में आवेदन करने से मोह हटने के संकेत दिखने शुरू हो गए हैं, नवीनतम विश्वविद्यालयों और कॉलेज प्रवेश सेवा (यूसीएएस) के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत से आवेदनों में चार प्रतिशत की गिरावट आई है।