पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून 2020 को भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के दो साल पूरे होने पर चीन के मुख्यधारा के मीडिया ने चुप्पी साधे रखी लेकिन माइक्रो ब्लॉगिंग वेबसाइट वीबो पर कई सरकारी मीडिया आउटलेटों ने मारे गए चीनी सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।
चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने चीनी भाषा में छपने वाले संस्करण में 15 जून को एक विस्तृत रिपोर्ट छापी।
इस रिपोर्ट में पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के वेस्टर्न कमांड के सोशल मीडिया अकाउंट से मारे गए जवानों के परिवारों के बारे किए गए पोस्ट छपी है।
भारत का नाम लिए बगै़र रिपोर्ट में बताया गया है, "संबंधित विदेशी सैनिकों ने गलवान घाटी इलाक़े में सड़कों, पुलों और अन्य ढाँचों का निर्माण कर के दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का गंभीर उल्लंघन किया है।" रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, "सीमा पर यथास्थिति बदलने के लिए एकतरफ़ा कोशिश की गई और हमारे अधिकारियों पर हिंसक हमले किए गए।"
पीएलए डेली नाम के मिलिटरी अख़बार ने 10 जून को रिपोर्ट में बताया कि एक शख्स चेन होंगजुन की मिलिटरी यूनिट को ज्वॉइन करने की ख़ातिर अभी तक तीन बार आवेदन कर चुका है। चेंग होंगजुन उन चार सैनिकों में से एक थे, जो गलवान हिंसा में मारे गए।
गलवान की बरसी से पहले ग्लोबल टाइम्स ने रक्षा मंत्री वेई फे़ंगे के एक बयान को बढ़-चढ़कर प्रचारित किया। ये बयान फे़ंगे ने 12 जून को सिंगापुर में हुए शांगरी-ला डायलॉग के दौरान दिया था। उन्होंने गलवान की बरसी का ज़िक्र किए बगैर कहा था कि सीमा पर संघर्ष के लिए चीन ज़िम्मेदार नहीं है।
अंग्रेज़ी भाषा के सरकारी अख़बार चाइना डेली ने 13 जून को संपादकीय में सीधे गलवान हिंसा की बरसी का ज़िक्र नहीं किया लेकिन इसमें अमेरिकी कमांडर चार्ल्स फ्लिन के उस बयान की आलोचना की गई, जो उन्होंने भारत में दिया था।
जनरल फ़्लिन ने लद्दाख से सटी सीमा पर चीनी गतिविधियों को आंखे खोलने वाला बताया था। संपादकीय में अमेरिका पर भारत-चीन के बीच आग भड़काने का आरोप लगाया गया था।
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