अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र के मुताबिक, तंबाकू के धुएं में 7,000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं। 1964 के बाद से धूम्रपान नहीं करने वाले करीब 25 लाख लोगों की सेकंड-हैंड धुएं के संपर्क में आने से मौत हो चुकी है।
दरअसल, धूम्रपान करने वाले लोगों में कैंसर का जितना खतरा है, उतना ही ऐसे लोगों के करीब रहने वालों में भी यह खतरा रहता है। आंकड़े बताते हैं कि दुनियाभर में सेकंड-हैंड स्मोकिंग या पैसिव स्मोकिंग के शिकार लोगों की तादाद में इजाफा हो रहा है। इसका मतलब, धूम्रपान नहीं करने वाले लोग भी धुएं से बीमार पड़ रहे हैं। इसलिए शोधकर्ताओं ने धूम्रपान करने वालों से दूर रहने की सलाह दी है।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरीज एंड रिस्क फैक्टर्स (जीबीडी) 2019 के शोध नतीजों का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने जांच में पाया कि कैसे 34 व्यावहारिक, मेटाबोलिक, पर्यावरण और व्यावसायिक जोखिम कारक 2019 में 23 प्रकार के कैंसर की वजह से मौत एवं बीमारी का कारण बने। इन कारकों की वजह से 2019 में 37 लाख लोगों की मौत हुई।
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इन वजहों से भी होता है कैंसर
लैंसेट के मुताबिक, अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान, शराब का सेवन और उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) कैंसर होने के सबसे बड़े कारक हैं। इसके अलावा, असुरक्षित यौन संबंध, वायु प्रदूषण कण, एस्बेस्टस एक्सपोजर, भोजन में साबुत अनाज, दूध की कमी और सेकंड-हैंड स्मोकिंग से भी कैंसर होता है।
अब तक 25 लाख लोगों की मौत
अमेरिकी रोग नियंत्रण केंद्र के मुताबिक, तंबाकू के धुएं में 7,000 से अधिक जहरीले रसायन होते हैं। 1964 के बाद से धूम्रपान नहीं करने वाले करीब 25 लाख लोगों की सेकंड-हैंड धुएं के संपर्क में आने से मौत हो चुकी है।
सोर्स : अमर उजाला