सहरी में ऐसा क्या खाये जो रोज़े में प्यास कम लगे!?
रमज़ान के महीने में चाहे सहरी के पकवान हों या इफ़्तार के, घर में हर एक की पसंद का ख़्याल रखना और खानों में नित नई विधि को शामिल करना परंपराओं का हिस्सा रहा है।
Table of Contents (Show / Hide)
![सहरी में ऐसा क्या खाये जो रोज़े में प्यास कम लगे!?](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-04/sehri.webp)
इस्लामी कैलेंडर के हिसाब से रमज़ान के रोज़े कभी सर्दी में तो कभी गर्मी में आते हैं। अब चाहे कम अवधि वाले रोज़े हों या लंबे अंतराल के, एक सवाल अक्सर लोगों की ज़बान पर होता है कि प्यास लगी तो क्या करेंगे?
इस बार माह-ए-रमज़ान मार्च और अप्रैल के महीने में आया है। पाकिस्तान और भारत के ज़्यादातर इलाक़ों में मौसम कुछ बेहतर और बीच-बीच का है।
लेकिन रमज़ान शुरू होते ही हर कोई प्यास से बचने के अपने-अपने आज़माए तरीक़े दोस्त-रिश्तेदारों के साथ शेयर करना शुरू कर देता है।
इस लिस्ट में सबसे ऊपर सहरी के वक़्त इलायची, पुदीना और दही खाने के साथ साथ ढेर सारा पानी पीना शामिल है।
इन उपायों के बारे में कहा जाता है कि अगर आपने सहरी में इन चीज़ों का इस्तेमाल किया तो आपका 14 घंटे से अधिक का रोज़ा बिना प्यास के आराम से गुज़र जाएगा।
लेकिन इन बातों में कितनी सच्चाई है और क्या वाक़ई ये तरीक़े रोज़े में प्यास को कम करने में मददगार साबित होते हैं?
हमने इस बारे में इस्लामाबाद के शिफ़ा इंटरनेशनल अस्पताल की खानपान विशेषज्ञ ज़ैनब ग़यूर से न सिर्फ़ उन टोटकों पर विस्तार से बात की बल्कि यह भी जाना कि इस महंगाई के दौर में कम ख़र्च में सहरी व इफ़्तार में क्या खाना चाहिए और क्या प्लेट से बाहर कर देना समझदारी होगी।
'दही से प्यास की तलब कम होती है'
रमज़ान के दस्तरख़्वान (खाने के वक़्त इस्तेमाल होने वाला कपड़ा या डाइनिंग क्लॉथ) को पारंपरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
अगर हम सहरी के वक़्त की बात करें तो इसमें खजला फेनी (खाजा और लच्छा सिवई) से लेकर पराठे, अंडे, सालन ख़ासकर गोश्त की डिश, दही, लस्सी और मिल्क शेक आदि की एक लंबी लिस्ट है जो रोज़ेदार इस्तेमाल करते हैं।
खानपान विशेषज्ञ ज़ैनब ग़यूर के अनुसार आमतौर पर सहरी व इफ़्तार में पौष्टिक भोजन नहीं लिया जाता। उनके अनुसार पारंपरिक पकवानों के साथ ऐसी चीज़ों को शामिल करना ज़रूरी है जो हमें दिनभर ऊर्जा बहाल रखने में मददगार हो और दही इसमें सबसे ऊपर है।
"सहरी के समय दही का इस्तेमाल बहुत अच्छा है. दूध से बनी चीज़ों से मिलने वाला मिल्क प्रोटीन हमारे पेट में बहुत देर तक मौजूद रहता है और इसकी वजह से ज़्यादा देर तक भूख का एहसास नहीं होता।
उनके अनुसार, "दही में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो आपकी पानी की तलब को पूरा करने में भी मदद देते हैं क्योंकि इसमें पोटैशियम होता है और सोडियम की मात्रा कम होती है।
डॉक्टर ज़ैनब का कहना है कि कुछ लोग दही में चीनी या दूसरी चीज़ें शामिल कर देते हैं, वह शामिल न करें तो दही सहरी में हमारी ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए मददगार है।
इस सवाल पर कि क्या हरी इलायची और पुदीने के पत्ते रोज़े की हालत में प्यास को कम करते हैं, उन्होंने बताया, "हरी इलायची और पुदीने के पत्ते सलाद में या वैसे ही चबाने में कोई परेशानी नहीं क्योंकि ये दोनों चीज़ें हमेशा ताज़गी का एहसास कराते हैं लेकिन इसका सीधा संबंध आपकी प्यास काम करने से नहीं है।