भारत में डायबिटीज़ पर डराने वाली रिपोर्ट सामने आई
डायबिटीज़ में लोगों के शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन का निर्माण नहीं कर पाता है। इस हार्मोन के सही से काम नहीं कर पाने से भी डायबिटीज़ होती है।
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लैंसेट के एक ताज़ा शोध अध्ययन के मुताबिक़ भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज़ से ग्रसित हैं। वहीं भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सर्वे के मुताबिक भारत में 13.6 करोड़ लोग प्री-डायबिटीज़ के साथ जी रहे हैं।
द लैंसेट डायबिटीज़ एंड एंडोक्राइनोलॉजी में प्रकाशित इस शोध को भारत के प्रत्येक राज्य को व्यापक रूप से कवर करने वाला पहले शोध माना जा रहा है, जिसमें देश पर असंक्रामक रोगों के बोझ का आकलन किया गया है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि भारत की आबादी में डायबिटीज़ का प्रसार पूर्व में लगाए गए अनुमानों से कहीं अधिक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान था कि भारत में 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज़ से ग्रसित होंगे और लगभग 2.5 करोड़ प्री-डायबिटीज़ की स्थिति में होंगे नज़दीकी भविष्य में डायबिटीज़ होने के ख़तरे को प्री-डायबिटीज़ कहा जाता है।
इस शोध की प्रमुख लेखिका और डॉ. मोहन डायबिटीज़ स्पेशलिएटीज़ सेंटर की निदेशक डॉ. आरएम अंजना ने अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ये स्थिति किसी टाइम बम जैसी है। वो कहती हैं, “अगर आप प्री-डायबिटीज़ की स्थिति में हैं तो हमारी आबादी में डायबिटीज़ होने की दर बेहद-बेहद ज़्यादा है। प्री-डायबिटीज़ की स्थिति में होने वाले 60 फ़ीसदी लोगों को अगले पांच सालों में ये बीमारी हो ही जाती है।
एक दशक लंबा चले इस शोध मद्रास डायबिटीज़ रिसर्च फ़ाउंडेशन ने इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर किया है। इसमें भारत के हर राज्य के बीस साल से अधिक उम्र के 1 लाख 13 हज़ार लोगों ने हिस्सा लिया।
इस शोध के लिए 2008 में इकट्ठा किए गए डेटा को नेशनल फ़ैमिली हेल्थ सर्वे की जनसांख्यिकी का इस्तेमाल करते हुए 2021 में एक्स्ट्रापोलेट किया गया। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे सरकार द्वारा स्वास्थ्य और सामाजिक संकेतकों का सबसे व्यापक घरेलू सर्वेक्षण है।
शोध के मुताबिक डायबिटीज़ सर्वाधिक गोवा में है, जहां 26.4 प्रतिशत आबादी ग्रसित है। इसके बाद पुडुचेरी में 26.3 और केरल में 25.5 प्रतिशत लोगों में डायबिटीज़ है। इस शोध में डायबिटीज़ के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और अरुणाचल प्रदेश में तेज़ी से बढ़ने का ख़तरा ज़ाहिर किया गया है। अभी तक इन प्रांतों में इसका प्रसार कम था।
शोध के मुताबिक़ डायबिटीज़ ग्रामीण क्षेत्रों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है।
बांबे हॉस्पिटल में में डायबिटोलॉजिस्ट राहुल बक्शी कहते हैं, “बदलती जीवन शैली, जीवन स्तर में सुधार, शहरों की ओर पलायन, अनियमित काम के घंटे, गतिहीन आदतें, तनाव, प्रदूषण, भोजन की आदतों में बदलाव और फास्ट फूड की आसान उपलब्धता कुछ ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से भारत में डायबिटीज़ बढ़ रही है।
डॉ. बक्शी कहते हैं कि डायबिटीज़ अब “सिर्फ़ शहरों में रह रहे लोगों या उच्च वर्ग की बीमार नहीं रह गई है।
“मेरे पास छोटे शहरों और क़स्बों से बड़ी तादाद में मरीज़ आते हैं। इन क्षेत्रों में प्री-डायबिटीज़ का प्रसार और अधिक है और बहुत से लोगों में लंबे समय तक बीमारी की पहचान नहीं होती है।
डॉ. बक्शी कहते हैं कि हाल के सालों में बड़ी तादाद में युवा मरीज़ भी उनके पास आ रहे हैं। वो कहते हैं, “मैंने कई ऐसे मामले देखे हैं जिनमें मेरे मरीज़ों के बच्चों ने घर पर अपना ब्लड शुगर स्तर जांचा और ये काफ़ी अधिक था।
डायबिटीज़ से दुनियाभर में हर 11 में से एक वयस्क प्रभावित है और इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, अंधेपन और किडनी फेल होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इसके अलावा कई बार हाथ या पैर भी कटवाना पड़ जाता है।
सोर्स बीबीसी