पिछले दो साल से वैश्विक स्तर पर जारी कोरोना महामारी ने लोगों की सेहत को गंभीर तौर से प्रभावित किया है। पहले से ही कुछ प्रकार की बीमारियों से ग्रसित लोगों में संक्रमण का जोखिम अधिक देखा जा रहा है। हृदय रोग, मोटापा और डायबिटीज के शिकार लोग संक्रमण की चपेट में अधिक आ रहे हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि महामारी ने मधुमेह रोगियों को असमान रूप से प्रभावित किया है। ऐसे लोगों में गंभीर बीमारी और मृत्यु दर का जोखिम बढ़ा हुआ रिपोर्ट किया जा रहा है।
पिछले चार-पांच दिनों के दैनिक कोविड-19 के मामलों पर नजर डालें तो देखने को मिलता है कि पिछले तीन महीने में पहली बार ऐसा है जब संक्रमण के दैनिक मामले फिर से 4000 के आंकड़े को पार कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में भारत ने 4,518 नए कोविड -19 मामले दर्ज किए जबिक 2,779 से लोग ठीक हुए। कोरोना के मामलों में जारी बढ़ोतरी के बीच विशेषज्ञ सभी लोगों को अपने जोखिम कारकों को ध्यान में रखते हुए बचाव करते रहने की सलाह देते हैं। टाइप-1 डायबिटीज रोगियों को कोविड-19 से बचाव के किए आईसीएमआर ने बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी है।
टाइप 1 डायबिटीज के बारे में जानिए
टाइप-1 डायबिटीज को 'इंसुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज' के रूप में जाना जाता है, इस स्थिति में अग्न्याशय या तो बहुत कम या बिल्कुल भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। ऐसे रोगियों को जीवनभर इंसुलिन इंजेक्शन लेने की आवश्यकता हो सकती है। आनुवंशिकी और कुछ अन्य कारक आपमें टाइप-1 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देते हैं। इस तरह के डायबिटीज के मामले आमतौर पर बचपन या किशोरावस्था के दौरान ही स्पष्ट हो जाते हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि ऐसे लोगों में कोविड-19 का जोखिम अधिक हो सकता है, इसी को ध्यान में रखते हुए आईसीएमआर ने गाइडलाइंस जारी कर बचाव के उपाय करते रहने की सलाह दी है।
टाइप 1 डायबिटीज के जोखिम कारक और लक्षण
शोध से पता चलता है कि यदि आपके परिवार में किसी को टाइप-1 डायबिटीज रह चुका है तो आपमें भी इसका खतरा हो सकता है। कुछ जीन की उपस्थिति टाइप-1 डायबिटीज के विकास को बढ़ा सकती है। टाइप-2 डायबिटीज की तुलना में टाइप-1 के लक्षण अपेक्षाकृत अचानक से नजर आने शुरू होते हैं, जिसपर गंभीरता से ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
अधिक भूख-प्यास लगना।
बार-बार पेशाब जाने की जरूरत।
अनपेक्षित रूप से वजन घटना।
चिड़चिड़ापन और मूड में बदलाव
थकान और कमजोरी
धुंधला दिखाई देना।
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