मोदी सरकार द्वारा एकाउंट सस्पेंड की मांग मानवाधिकार विरोधी, ट्वीटर ने हाइकोर्ट में दायर की याचिका
सोशल मीडिया नेटवर्क ट्वीटर ने भारत सरकार द्वारा सामग्रियों को हटाने और एकाउट ससपेंड करने को मानवाधिकार विरोधी बताते हुए कर्नाटक हाइकोर्ट में चुनौती दी है।
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भारत सरकार ने जून में ट्विटर को एक चिट्ठी भेजी थी जिसमें कहा गया था कि ऐसे आदेशों को नहीं मानने पर "गंभीर नतीजे "भुगतने की चेतावनी दी थी।
ट्विटर की याचिका की बात सामने आने के कुछ ही घंटों बात केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट कर लिखा कि सभी विदेशी इंटरनेट प्लेटफ़ॉर्म्स को भारतीय क़ानून का पालन करना होगा। भारत में ट्विटर के दो करोड़ 40 से ज़्यादा यूज़र हैं।
ट्विटर की याचिका
ट्विटर ने कर्नाटक हाईकोर्ट में पेश अपनी दलील में उन कुछ सामग्रियों की न्यायिक समीक्षा की माँग की है जो ब्लॉक करने वाले आदेशों में शामिल हैं। उसने अदालत ने से इन आदेशों पर रोक लगाकर राहत देने की भी गुज़ारिश की है।
बीबीसी ने इस याचिका को देखा है जिसमें कहा गया है कि अकाउंट ब्लॉक करना एक ज़रूरत से ज़्यादा उठाया गया क़दम है जो संविधान के तहत मिले यूज़र्स के अधिकारों का उल्लंघन करता है, ख़ासकर तब जबकि यूआरएल और अकाउंट को ब्लॉक करने की वजह स्पष्ट नहीं हो और केवल ये लिखा हो कि सेक्शन 69-ए के तहत ये किया गया।
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याचिका में आगे कहा गया है कि इसमें ये नहीं दर्शाया गया है कि इन अकाउंटों में ऐसी सामग्रियाँ हैं जिनमें से ज़्यादातर सेक्शन 69-ए के आधारों के तहत आते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने ख़ुद भी दिल्ली हाईकोर्ट में कहा है कि यदि ऐसी कुछ सामग्रियाँ या कोई हिस्सा ग़ैर-क़ानूनी पाया जाता है तो केवल उसी हिस्से को हटाने की कार्रवाई की जा सकती है। इसलिए उस यूज़र अकाउंट को पूरी तरह सस्पेंड नहीं किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने ये भी लिखा कि पूरे यूज़र अकाउंट को ब्लॉक कर देना बिल्कुल आख़िरी कार्रवाई होनी चाहिए।
ट्विटर ने कहा है, "ट्विटर इन सामग्रियों के बारे में चर्चा करने के लिए मंत्रालय के साथ सहयोग करता है, और ये मंत्रालय और ट्विटर के बीच जारी एक सतत प्रक्रिया है।"
आईटी ऐक्ट, 2000 के सेक्शन 69-ए के तहत किसी भी कंप्यूटर के ज़रिये किसी सूचना को उपलब्ध नहीं होने के लिए निर्देश दिए जा सकते हैं।
'मनमाना आदेश'
ट्विटर की याचिका में कहा गया है- "इस ऐक्ट के ब्लॉकिंग नियमों के तहत समीक्षा की एक व्यवस्था बनाई गई है। इसके तहत एक समीक्षा समिति ये देखती है कि इन नियमों के तहत जारी किए गए निर्देश इस क़ानून के सेक्शन 69-ए में दर्ज आधारों के तहत आते हैं या नहीं। यदि समिति को लगता है कि ये निर्देश इन आधारों के तहत नहीं आते, तो वो उन निर्देशों को रोक सकती है और इन सामग्रियों को अनब्लॉक करने के लिए आदेश जारी कर सकती है।"
ट्विटर ने लिखा है कि जिन अकाउंटों और सामग्रियों को ब्लॉक करने के लिए आदेश जारी किए गए वो मनमाने लगते हैं, उनमें उनको नोटिस नहीं दिया गया जिनके ये अकाउंट हैं या जिन्होंने ये सामग्रियाँ डालीं, और ये कई मामलों में असंगत हैं। साथ ही, कई में ऐसी राजनीतिक सामग्रियाँ हैं जिन्हें राजनीतिक दलों के आधिकारिक हैंडल से पोस्ट किया गया है।
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ट्विटर का कहना है कि ऐसी सामग्रियों पर रोक लगाना उनके प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करनेवाले नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन है।
ट्विटर ने कहा है कि वो खुलेपन और पारदर्शिता के सिद्धांतों को लेकर संकल्पबद्ध है और सामग्रियों को रोकने को लेकर किए गए आग्रहों का ब्यौरा लुमेन पर प्रकाशित किया जाता रहा है और किया जाता रहेगा।
ट्विटर ने आगे कहा कि वो ब्लॉकिंग के लिए आए निर्देशों से संबंधित याचिका की पूरी जानकारी साझा नहीं कर सकते क्योंकि ये ब्लॉकिंग नियम के तहत गोपनीय हैं और ये मामला न्यायालय के अधीन है।
ट्विटर ने कहा, "इनमें से कुछ ऐसे कंटेट को भी ब्लॉक करने के लिए कहा गया है जो किंन्ही ख़ास इवेंट्स से ताल्लुक़ रखता है। ट्वीटर की जानकारी के अनुसार भारतीय क़ानून के तहत ऐसे ब्लॉकिंग ऑर्डर्स का रिव्यू नहीं हुआ है। इसलिए ये संभव है कि ऐसे कंटेंट अब अप्रसांगिक हो चुका हो लेकिन फिर भी ब्लॉक ही हो। हालांकि इसका निर्णय अदालत को ही करना है।"
चुनौती के आधार
ट्विटर का कहना है कि कई ब्लॉकिंग ऑर्डर्स के मामलों में आईटी एक्ट की सेक्शन 69 के तहत प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है।
ट्विटर ने अपनी याचिका में कहा है कि ब्लॉकिंग ऑर्डर सेक्शन 69A के तहत खरे नहीं उतरते क्योंकि इनमें से कई मामले राजनीतिक भाषणों, आलोचनाओं और न्यूज़ कंटेंट से जुड़े हैं।
इन मामलों में सेक्शन 69A के आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती। ट्वीटर को ऐसे भी कई ब्लॉकिंग ऑर्डर दिए गए थे जो सेक्शन 69A की ओर इशारा भर करते हैं। लेकिन इस बात की तफ़्शील से चर्चा नहीं करते कि कैसे ये कंटेंट आईटी एक्ट की इस सेक्शन की अवहेलना करता है।
जून 2022 में केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ट्विटर को एक पत्र भेजकर लिखा था कि भारतीय क़ानून की अवहेलना के गंभीर परिणाम होंगे। सरकार ने ट्विटर को भेजे गए सेक्शन 69A के तहत ब्लॉकिंग ऑर्डर्स को लागू करने के लिए अंतिम मौक़ा दिया था। ऐसा न होने की स्थिति में कंपनी के चीफ़ कॉम्पलायंस ऑफ़िसर के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज करने की बात भी की गई थी।
ऐसा करने में विफल रहने पर ट्विटर आईटी अधिनियम की धारा 79 (1) के तहत मिली क़ानूनी छूट से हाथ धो बैठेगा
सरकार की ओर से इन ख़तरों की गंभीरता के कारण, ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक रिट पेटिशन में ऐसे ब्लॉकिंग ऑर्डर्स को चुनौती दी है। इन ब्लॉकिंग ऑर्डर्स को इस आधार पर चुनौती दी जा रही है कि वे प्रक्रियात्मक रूप से और धारा 69A की शर्तों पर खरे नहीं उतरते। यानी सरकार की शक्तियों के अत्यधिक उपयोग को दिखाते हैं। ट्वीटर का कहना है कि कई मामलों में तो सरकार ट्विटर अकाउंट्स को ब्लॉक करने को कहती रही है।