सऊदी- इजरायल के बीच गोपनीय संबंधों पर सनसनीखेज़ रिपोर्ट सामने आई
"जियोपॉलिटिकल फ्यूचर्स" समाचार-विश्लेषणात्मक डेटाबेस ने अपनी रिपोर्ट में सऊदी सरकार और इजरायली शासन के बीच गुप्त संबंधों के उजागर किया है। इस रिपोर्ट में आया है कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस "मोहम्मद बिन सलमान", इस देश के किंग बनने के बाद इजरायल के साथ संबंधों को सार्वजनिक रूप सामान्य बनाने वाले हैं।
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![सऊदी- इजरायल के बीच गोपनीय संबंधों पर सनसनीखेज़ रिपोर्ट सामने आई](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-10/saudi-arabia-and-israel.webp)
जियोपॉलिटिकल फ्यूचर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी परिवार के सदस्यों परंपरागत रूप से हमेशा गुप्त रूप से इजरायल के साथ संबंधो की स्थापना और विस्तार पर ज़ोर दिया है।
इस वेबसाइट के अनुसार, सऊदी नेताओं को हमेशा यह चिंता रहती है कि इजरायल के साथ सार्वजनिक संबंथों से उनकी छवि खराब होगी। क्योंकि दूसरे अरब राष्ट्रों की भाति सऊदी अरब की जनता भी इजरायल के साथ किसी भी प्रकार के संबंधों को घृणित मानती है। और संबंधों की स्थापना इजरायल के अस्तित्व को स्वीकार करना है। यही कारण है कि दूसरे अरब देशों की भाति सऊदी अरब के नेता भी हमेशा इस शासन के साथ गुप्त संबंधों पर ही ज़ोर देते रहे हैं।
इस वेबसाइट ने सऊदी अरब और इजरायल के गुप्त संबंधों पर रिपोर्ट देते हुए लिखाः सऊदी सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के तत्कालीन सचिव बंदर बिन सुल्तान, कई वर्षों तक, "मोसाद" संगठन के तत्कालीन प्रमुख "शबताई शफ़ीत" के साथ साथ मिलकर दोनों देशों के बीच गुप्त संबंधों के विस्तार पर कार्य करते रहे हैं।
इस वेबसाइट के अनुसार, सऊदी सुरक्षा संस्थानों और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और इजरायली शासन के बीच संबंधों के समन्वय के लिए 11 सितंबर के हमलों के बाद बंदर बिन सुल्तान को वाशिंगटन में सऊदी राजदूत के रूप में नियुक्त किया गया था। 2006 में लेबनान के खिलाफ 33-दिवसीय युद्ध के दौरान जॉर्डन की राजधानी ओमान में इजरायल के प्रधान मंत्री एहुद ओलमर्ट के साथ एक बैठक में, उन्होंने सुझाव दिया कि यह शासन हिज़्बुल्लाह को नष्ट करेगा और सऊदी अरब इस युद्ध की लागत का भुगतान करेगा।
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इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक के दौरान सुरक्षा समन्वय के लिए इजरायली शासन के कई अधिकारियों ने गुप्त रूप से सऊदी अरब का दौरा किया है। इजरालय के पूर्व प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने नवंबर 2020 में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ से मुलाकात की; हालांकि सऊदी विदेश मंत्री ने इस तरह की बैठक करने से इनकार किया है। इजरायली कंपनी "एनएसओ" द्वारा सऊदी अरब को "पेगासस" स्पाइवेयर की बिक्री ने दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ाया।
साइट ने लिखा कि सउदी अरब ने इजरायल के साथ गहरे गुप्त संबंध होने के बावजूद, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इजरायल विरोधी रुख को खुले तौर पर अपनाया है।
वेबसाइट के अनुसार, सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ के शासनकाल के दौरान इज़राइली शासन और सऊदी अरब के बीच संबंध अनौपचारिक स्तर पर सार्वजनिक स्तर पर आ गए, और सऊदी खुफिया संगठन के पूर्व प्रमुख, तुर्की अल-फैसल ने इजरायल के तत्कालीन मंत्री तज़िपी लिवनी और खुफिया प्रमुख अमोस याडलिन से मुलाकात और बातचीत की।
इस रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में, सऊदी अरब और इजरायली शासन ने तेल अवीव के कृषि उत्पादों और प्रौद्योगिकी को वेस्ट बैंक, जॉर्डन और साइप्रस के माध्यम से सऊदी बाजार में पहुँचाने के लिए एक तीसरे पक्ष के माध्यम से आर्थिक संबंध स्थापित किए हैं।
सऊदी अरब ने पिछले जुलाई में इजरायली शासन की एयरलाइनों के लिए अपना हवाई क्षेत्र खोला। सऊदी अरब के इस कदम को इजरायल के अंतरिम प्रधान मंत्री यायर लैपिड ने रियाद के साथ संबंधों में सुधार की दिशा में पहला आधिकारिक कदम बताया।
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जियोपॉलिटिकल फ्यूचर्स के अनुसार सऊदी अरब इजरायल के साथ सबंधों को सामान्यीकरण की नीति पर आगे बढ़ रहा है। 2017 में, मोहम्मद बिन सलमान ने लाल सागर के तट पर "नियोम" शहर बनाने की महत्वाकांक्षी योजना और इसमें इजरायली शासन की भागीदारी के साथ-साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तेल अवीव का दौरा किया हालांकि बिन सलमान ने इस दौरे को गुप्त रखना पसंद किया।
इस रिपोर्ट के आधार पर, 2019 में, बिन सलमान ने सऊदी अरब में कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में रहने वाले अरबों के सऊदी अरब में रोजगार और निवास योजना पर सहमति व्यक्त की, और इस संबंध में, श्रम और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के दर्जनों प्रतिनिधि (कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों के निवासी) ) पूंजी निवेश अनुबंधों की समीक्षा करने के लिए रियाद पहुँचे।
जियोपॉलिटिकल फ्यूचर्स के अनुसार, मोहम्मद बिन सलमान गुप्त रूप से इजरायल के साथ संबंधों को आगे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन वह इन संबंधों के सार्वजनिक होने को लेकर चिंतित हैं। क्योंकि उनको चिंता है कि संबंधों के सार्वजनिक होने पर अरब देश की मीडिया उनकी आलोचना करेगी, क्योंकि वह लगातार हर मंच से अपने आपको इस्लाम और दो पवित्र मस्जिदों के सेवक को तौर पर प्रस्तुत करते हैं, इस दावे के साथ वह किस मुंह से इस्लाम को दुश्मन देश के साथ सार्वजनिक रूप से संबंध स्थापित कर सकते हैं?
बिन सलमान ने कुछ समय पहले सार्वजनिक रूप से इज़राइली शासन के अस्तित्व को मान्यता दी है और फ़िलिस्तीनी नेताओं पर भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए, तेल अवीव के साथ समझौता करने का अवसर चूकने और रियाद की उदार वित्तीय सहायता के लिए कृतघ्न होने का आरोप लगाया है।
अंत में, इस वेबसाइट ने लिखा: बिन सलमान को अपनी विकास योजनाओं को साकार करने के लिए इजरायल की मदद की जरूरत है। वह नियोम प्रोजेक्ट को भी फिलिस्तीन की उत्तर-पश्चिमी सीमाओं के करीब बना रहे हैं ताकि इस शहर में इजरायलियों की पहुंच को सुविधाजनक बनाया जा सके और उन्हें आर्थिक रूप से सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
बिन सलमान व्यवहारिक रूप से इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहते हैं लेकिन इसके लिए वह सऊदी अरब का किंग बनने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।