उत्तर प्रदेश के बलरामपुर ज़िले के रेहरा बाज़र थाना क्षेत्र में एक महिला ने एक विशेष समुदाय की तीन महिलाओं समेत सात लोगों के ख़िलाफ़ जबरन धर्म परिवर्तन कराने और एक धार्मिक स्थल को अपवित्र करने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है।
शिकायत जाफ़राबाद की रहने वाली दीपा निषाद ने दर्ज कराई है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आरोपियों पर लगाई गई विभिन्न धाराओं में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम-2021 भी शामिल है।
पुलिस के मुताबिक, एक महिला ने सोमवार को सात लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम-2021 की शांति भंग करने और आपराधिक धमकी देने सहित अन्य गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया है, जिनमें से तीन महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है.
धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम-2021 के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से धर्म परिवर्तन कराने के मामले में सख़्त सज़ा का प्रावधान है। महिलाओं और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों का अवैध रूप से धर्म परिवर्तित कराने पर दो साल से 10 साल तक की जेल की सज़ा हो सकती है।
महिला ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ गाली-गलौज किए जाने और उन्हें धमकी दिए जाने का वीडियो भी बनाकर जारी किया है। पुलिस ने बताया कि यह वीडियो मई 2022 का है, जिसके सिलसिले में उस समय कार्रवाई भी की गई थी।
ज्ञात रहे कि 25 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के एक गांव में क्रिसमस के मौके पर दलित समाज के लोगों को एकत्र कर धर्म परिवर्तन का उपदेश देने के आरोप में एक पादरी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
पिछले 24 दिसम्बर की रात हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने बस को रोककर हंगामा किया था। पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद के नगर अध्यक्ष संजीव गुप्ता की शिकायत पर आरोपी शिवदेश के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।