बाबा जो है शिव का अवतार कहता है शिवलिंग की तरह मेरे लिंग की करो पूजा
'वीरेंद्र देव दीक्षित अपने आपको शिव का अवतार बताते थे और शिवलिंग की तरह अपने लिंग की पूजा करने को कहते थे।
Table of Contents (Show / Hide)
![बाबा जो है शिव का अवतार कहता है शिवलिंग की तरह मेरे लिंग की करो पूजा](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-04/thumbs/1650623802_sex.webp)
"हम अभी कुछ नहीं कह सकते। सोमवार को कोर्ट का फ़ैसला आएगा, तब कुछ कह पाएं ये शब्द हैं राम रेड्डी के जिनकी बेटी संतोष रूपा अब से लगभग सात साल पहले उन्हें कुछ बताए बिना अमेरिका से सीधे बलात्कार के अभियुक्त बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के विवादित आश्रम में रहने आ गई थी जो कई सालों से फ़रार हैं।
38 वर्षीय संतोष रूपा उन कई महिलाओं में शामिल हैं जो आज भी दिल्ली के रोहिणी में स्थित पांच मंज़िला ऊंची क़िलेनुमा इमारत में रहती हैं। इनमें से कई महिलाओं के घर वाले राम रेड्डी की तरह अपनी बेटियों को विवादित आश्रम से निकालने की कोशिश करते रहे हैं लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब इस विवादित आश्रम से जुड़ा मामला कोर्ट पहुंचा हो।
जब छुड़ाई गई 41 नाबालिग़ लड़कियां
इससे पहले साल 2017 में इसी विवादित इमारत पर सीबीआई और पुलिस ने छापा मारकर यहां से 41 नाबालिग़ लड़कियों को छुड़ाया था।
इस पूरे विवाद के केंद्र में 75 वर्षीय बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित हैं जो ख़ुद को शिव का अवतार बताते हैं। इनके ख़िलाफ़ अलग-अलग थानों में बलात्कार समेत कई मामले दर्ज हैं। वीरेंद्र दीक्षित के ख़िलाफ़ बलात्कार से लेकर यहां रहने वाली लड़कियों से मालिश करवाने और यौन संबंध बनाने जैसे तमाम गंभीर आरोप भी हैं।
इस मामले में जनहित याचिका दायर करने वाली एक ग़ैर-सरकारी संस्था के वकील के मुताबिक़, ''वीरेंद्र देव दीक्षित अपने आपको शिव का अवतार बताते थे और शिवलिंग की तरह अपने लिंग की पूजा करने को कहते थे।''
यह भी पढ़े: IPL 2022: MIvsCSK धोनी ने चार गेंदों में बदली मैच की तस्वीर
सीबीआई ने इस मामले की जांच करने के बाद उनके ख़िलाफ़ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया। लेकिन इसके पांच साल बाद भी भारत की तमाम सुरक्षा एजेंसियां वीरेंद्र देव दीक्षित को पकड़ने में नाकामयाब रही हैं।
इसके बावजूद ये विवादित आश्रम पहले की तरह चल रहा है और आज भी यहां 150 से ज़्यादा लड़कियां मौजूद हैं जो कि कथित रूप से जानवरों की तरह रखी जा रही हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट ने जताया आश्चर्य
दिल्ली हाई कोर्ट ने बीते मंगलवार इस मामले पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि देश की राजधानी में ये सब कैसे चल रहा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार इस आश्रम को अपने नियंत्रण में लेने पर विचार करे।
लाइव लॉ के मुताबिक़, दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और जस्टिस नवीन चावला की डिविज़न बेंच ने कहा है कि "बाथरूम में भी दरवाज़े नहीं हैं। हालत ये है और ये सब देश की राजधानी में हो रहा है। ये काफ़ी चौंकाने वाला है। इसका हल निकाला जाना चाहिए।"
इस मामले में अगली सुनवाई आगामी सोमवार को होनी है जिसके बाद ये तय किया जाएगा कि दिल्ली सरकार इस आश्रम को अपने नियंत्रण में लेती है या नहीं।
संतोष रूपा के पिता राम रेड्डी बेसब्री से सोमवार को आने वाले फ़ैसले का इंतज़ार कर रहे हैं।
कौन हैं संतोष रूपा?
राम रेड्डी और गरिमा साहू के घर जन्म लेने वाली 38 वर्षीय संतोष रूपा ने नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका की प्रतिष्ठित लुइसविले यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है।
इससे पहले उन्होंने जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई की थी। लेकिन साल 2015 से कुछ समय पहले संतोष रूपा को कमर में गंभीर दर्द का सामना करना पड़ा। राम रेड्डी के वकील श्रवण कुमार के मुताबिक़, संतोष रूपा ने बताया है कि नेचुरोपैथी यानी प्राकृतिक चिकित्सा से राहत मिलने की वजह से उन्होंने ध्यान आदि शुरू किया।
संतोष जब इस गंभीर दर्द से गुज़र रही थीं तभी उन्हें यूट्यूब के माध्यम से दिल्ली के रोहिणी स्थित वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम के बारे में पता चला इसके बाद संतोष रूपा साल 2015 में अमेरिका छोड़कर सीधे वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम पहुंच गईं।
श्रवण कुमार बताते हैं, "यूट्यूब पर वीडियो देखने के बाद संतोष रूपा अपने घरवालों को बताए बिना अमेरिका से सीधे इस आश्रम में पहुंच गईं। इसके बाद उन्होंने पुलिस और अपने घरवालों समेत कई विभागों को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने लिखा कि 'मैं यहां पर अपनी मर्ज़ी से रह रही हूं'।"
इसके बाद से संतोष रूपा के माता-पिता उन्हें इस आश्रम से निकालने की क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस विवादित आश्रम में रहने वाली महिलाओं की ओर से लिखे गए इस तरह के पत्र पहले भी सार्वजनिक हुए हैं।
श्रवण कुमार बताते हैं, "साल 2017 में भी जब अदालत द्वारा बनाई गई समितियां 2017 और 2018 में गई थीं तो उन्हें भी ऐसे ही सैकड़ों पत्र मिले थे। इन चिट्ठियों में यहां रहने वाली तमाम महिलाओं के हस्ताक्षर थे और ये पत्र एक जैसे थे। ये आश्रम यहां रहने वाली महिलाओं से ऐसे पत्र लिखवाकर सरकारी विभागों को भेजते हैं और मांग करते हैं कि उन्हें उनके घरवालों से बचाने के लिए सुरक्षा दिलाई जाए।"
सोर्स : बीबीसी