बहरीन में भूख हड़ताल पर क्यों है चर्चा गर्म?!
बहरीन में राजनीतिक क़ैदियों की पिछले महीने सात अगस्त से शुरू हुई भूख हड़ताल का दायरा बढ़ता जा रहा है। भूख हड़ताल में शामिल क़ैदियों ने सरकार के प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया है।
Table of Contents (Show / Hide)
![बहरीन में भूख हड़ताल पर क्यों है चर्चा गर्म?!](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2023-09/2.webp)
इन राजनीतिक क़ैदियों की भूख हड़ताल से एक बार फिर सऊदी अरब समर्थित बहरीन के शाही परिवार और विरोधियों के मतभेद सतह पर आ गए हैं।
बहरीन की बहुसंख्यक आबादी शिया मुसलमानों की है और शाही परिवार सुन्नी मुस्लिम है। 2011 में अरब स्प्रिंग के प्रभाव को दबाने के लिए सऊदी अरब ने बहरीन में अपने सैनिकों को भेजा था।
रॉयटर्स ने लिखा है कि अरब स्प्रिंग के बाद से बहरीन में सुन्नी मुस्लिम शासक अल ख़लीफ़ा परिवार ने यहाँ असहमतियों को दबाकर रखा है। अरब स्प्रिंग में बहरीन में शिया प्रदर्शनकारी खुलकर सामने आए थे। इसके बाद क़ैदियों की इस हड़ताल को सालों बाद संगठित विरोध के रूप में देखा जा रहा है।
शिया बहुल बहरीन में सुन्नी परिवार अल ख़लीफ़ा का वर्षों से शासन है। इससे पहले ईरान पर आरोप लगता था कि वह बहरीन में शिया विद्रोहियों को हवा दे रहा है। ज़ाहिर है कि ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है।
मानवाधिकार समूह और क़ैदियों के परिवारों का कहना है कि बहरीन की राजधानी मनामा की जाउ जेल में क़रीब 800 क़ैदी भूख हड़ताल पर हैं।
ये क़ैदी जेल में बदतर हालात का विरोध कर रहे हैं। क़ैदियों ने भूख हड़ताल ख़त्म करने के लिए सरकार की तरफ़ से दी गई कुछ छूटों को ख़ारिज कर दिया था।
सैयद अल्वादाएइ ने कहा, ''क़ैदियों की मांग है कि उनके कुछ साथियों का एकांत ख़त्म होना चाहिए, खुली हवा में रहने का वक़्त बढ़ना चाहिए, नमाज़ की इजाज़त मिलनी चाहिए। परिजनों से मिलने के नियम बदलने चाहिए और मेडिकल सुविधा के साथ शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए।
बहरीन की सरकार भूख हड़ताल पर क्या कह रही है?
बहरीन के गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि वह क़ैदियों के खुली हवा में रहने का समय दो से चार घंटा करने के लिए तैयार है और परिजनों से मिलने का वक़्त भी बढ़ाया जाएगा।
इसके अलावा फ़ोन पर बातचीत के समय की भी समीक्षा के लिए तैयार है। बहरीन की सरकार ने इस बात से इनकार किया है कि वह राजनीतिक विरोधियों को टारगेट कर रही है।सरकार का कहना है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित कर रही है।
सरकार ने कहा है कि क़ैदियों के साथ व्यवहार अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत ही हो रहा है। सरकार ने जेल में क़ैदियों की स्थिति की आलोचना को ख़ारिज कर दिया है।
बहरीन की सरकार ने 800 क़ैदियों की भूख हड़ताल की बात को नकार दिया है। रॉयटर्स को भेजे जवाब में बहरीन की जेल अथॉरिटी ने कहा है कि भूख हड़ताल पर 800 नहीं बल्कि 121 से 124 क़ैदी ही हैं। खाड़ी की राजशाही सरकार वाले देशों में बहरीन एकमात्र देश था, जहाँ अरब स्प्रिंग का असर था। यहाँ भी प्रदर्शनकारी शाही परिवार के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतर गए थे. यह प्रदर्शन 2013 तक किसी न किसी रूप में जारी रहा था।
इसके बाद वहाँ की सरकार ने मुख्य विपक्षी समूह को भंग कर दिया था और हज़ारों लोगों पर मुक़दमा दर्ज कराया था। सैकड़ों लोगों की नागरिकता छिन ली गई थी। कइयों को तो देश छोड़ना पड़ा था।
यह भी देखें : बहरीन में इजरायली डॉक्टरों की भर्ती के खिलाफ प्रदर्शन
बहरीन की मानवाधिकार कार्यकर्ता मरियम अल-ख़्वाजा ने कहा कि उनके पिता अब्दुलहादी प्रमुख विपक्षी नेता हैं और उन्हें भूख हड़ताल के बाद आईसीयू में जाना पड़ा।
मरियम ने कहा कि उनके पिता के इलाज के लिए कार्डियोलॉजिस्ट तक नहीं जाने दिया जा रहा है। अहमद जाफर उन क़ैदियों में से एक हैं, जब उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की तो एकांत में डाल दिया गया। अहमद जाफर के परिवार वालों ने कहा है कि उन्हें 27 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया।
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने कहा है कि वह बहरीन में क़ैदियों की स्थिति के मूल्यांकन के लिए तैयार है। यूएन ने कहा है कि बहरीन क़ैदियों के साथ अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार व्यवहार करे।
बहरीन इंस्टीट्यूट फॉर राइट्स एंड डेमोक्रेसी के अनुसार, सरकार की कार्रवाई के पैमाने को बेहतर समझने के लिए आंकड़े देखे जा सकते हैं। यहां की जेलों में कुल 3200 से 3800 के बीच क़ैदी हैं। इनमें से 1400 राजनीतिक क़ैदी हैं।