मोहम्मद बिन सलमान सात साल से सऊदी अरब में सत्ता के उच्च स्थान व पद पर आसीन हैं। बिन सलमान की इन यात्राओं से उनका लक्ष्य सऊदी अरब का शासक बनने के लिए एक प्रकार की वैधता प्राप्त करना और यह दिखाना था कि वह सऊदी अरब के पहले नंबर के व्यक्ति हैं।
अक्तूबर 2018 को मोहम्मद बिन सलमान से एक बड़ी गलती हो गयी जिससे उनकी छवि को बहुत नुकसान पहुंचा। सऊदी अरब के प्रसिद्ध और इस देश की तानाशाही सरकार के आलोचक पत्रकार जमाल खाशुकजी की दो अक्तूबर 2018 को तुर्की में सऊदी अरब के काउंसलेट के अंदर बड़ी ही निर्ममता से हत्या कर दी गयी और उनके शरीर को टुकड़े- टुकड़े कर दिया गया।
खाशुकजी की हत्या के आरंभिक घंटों में संचार माध्यमों ने एलान किया कि यह अपराध मोहम्मद बिन सल्मान के आदेश से अंजाम दिया गया और तुर्की की सरकार ने सांकेतिक रूप से कहा था कि यह हत्या मोहम्मद बिन सलमान के आदेश से की गयी है।
तुर्की की इस प्रतिक्रिया से सऊदी अरब और मोहम्मद बिन सलमान पर दबावों में वृद्धि हो गयी। बिन सलमान इस अपराध से पहले बहुत पश्चिमी देशों की यात्रा करते थे परंतु इस हत्या व अपराध के बाद उन्होंने पश्चिमी देशों की यात्रा के लिए वातावरण प्रतिकूल देखा और पश्चिमी देशों की यात्रा के बजाये कुछ अरब देशों की ही यात्रा पर संतोष किया। बिन सलमान ने जिन गैर अरब देशों की यात्रा की वह केवल तुर्की है।
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अब चार साल का समय बीत रहा है और तय है कि बिन सलमान कल मंगलवार से यूनान की यात्रा पर जा रहे हैं और उसके बाद वह साइप्रेस जायेंगे। दूसरे शब्दों में जमाल खाशुकजी की हत्या के बाद मोहम्मद बिन सलमान की किसी पश्चिमी देश की यह पहली यात्रा होगी और यह यात्रा इस बात की सूचक है कि बिन सलमान दबावों से बाहर आ गये हैं।
अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की सऊदी अरब की यात्रा और बिन सलमान से मुलाकात से विश्व जनमत में यह संदेश गया कि बिन सलमान के बारे में अमेरिका का दृष्टिकोण नर्म हो गया है जबकि जो बाइडेन ने वर्ष 2020 में चुनावी प्रचार के दौरान कहा था कि जमाल खाशुकजी की हत्या के कारण वह बिन सलमान और सऊदी अरब को अलग- थलग कर देंगे पर सऊदी अरब की यात्रा के दौरान बाइडेन ने पूरी तरह अपने वादे की अनदेखी कर दी। इसी कारण बहुत से विश्लेषकों का मानना है कि बाइडेन की यात्रा के अस्ली विजेता मोहम्मद बिन सलमान थे।
मोहम्मद बिन सलमान अपनी यूनान यात्रा के दौरान इस देश के प्रधानमंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं से मुलाकात करेंगे और कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर भी होंगे। जानकार हल्के मोहम्मद बिन सलमान की इस यात्रा को दूसरे पश्चिमी देशों की यात्रा और उनके साथ संबंधों को मजबूत बनाने का आरंभिक बिन्दु और भूमिका मान रहे हैं और वे बिन सलमान की हालिया तुर्की, मिस्र और जार्डन यात्रा को इसी परिप्रेक्ष्य में देख रहे हैं।
सोर्स : पार्स टू़डे