ऑस्ट्रेलिया में क्या है ऐसा खास कि बड़ी संख्या में भारतीय जा रहे हैं ऑस्ट्रेलिया ?
पिछले कुछ सालों में ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों की तादाद तेज़ी से बढ़ी है और देश के सबसे नई जनगणना के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में भारतीय दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय हैं।
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ऑस्ट्रेलिया दुनिया में सर्वाधिक प्रवासी नागरिकों वाले देशों में भी शामिल है। ऑस्ट्रेलिया में अब भारतीय मूल के लोगों की संख्या चीन के लोगों से अधिक है और वो सिर्फ़ अंग्रेज़ों से ही पीछे हैं।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों की इस नई खेप के पीछे तकनीकी क्षेत्र भी है। ऑस्ट्रेलिया में भारत के प्रशिक्षित कामगरों की मांग बढ़ी है। आरती बेटीगेरी एक पत्रकार हैं और इस समय ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले भारतीयों के यहां पलने-बढ़ने के अनुभवों पर एक संकलन को संपादित कर रही हैं।
आरती कहती हैं कि उनके परिजन 1960 के दशक में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे थे और उस समय यहां के सार्वजनिक जीवन में भारतीय कम ही दिखाई देते थे। वो कहती हैं, “उस समय किसी दूसरे भारतीय को ऑस्ट्रेलिया में देख लेना दुर्लभ बात होती थी। वो कहती हैं, “लेकिन अब हालात बिल्कुल ही बदल गए हैं। अब वो यहां लगभग हर क्षेत्र में नौकरियों में हैं, कारोबार करते हैं और राजनीति में भी क़दम रख रहे हैं।
हाल ही में चुनी गई न्यू साउथ वेल्स की सरकार में भारतीय मूल के चार राजनेता हैं। इनमें डेनियल मूखे भी शामिल हैं जो इस साल मार्च में किसी ऑस्ट्रेलियाई प्रांत के राज-कोष का अथ्यक्ष बनने वाले भारतीय मूल के पहले राजनेता भी हैं।
हालांकि भारतीयों को अभी लंबा सफ़र तय करना है. अन्य गैर-यूरोपीय देश के नागरिकों की तरह भारतीयों को भी ऑस्ट्रेलिया की संघीय राजनीति में अभी अपनी जगह बनानी है।फ़िलहाल उनकी संख्या बहुत अधिक नहीं है।
आरती कहती हैं कि सॉफ्ट पॉवर के निर्यात ने दोनों देशों के बीच संबंधों को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई है। हाल ही में सिडनी की एक रैली में, जिसमें हज़ारों भारतीयों ने हिस्सा लिया था, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया के टीवी शो मास्टरशेफ़ ऑस्ट्रेलिया, क्रिकेट और फ़िल्में भारत में लोगों को क़रीब ला रही हैं।
विश्लेषक मानते हैं कि नरेंद्र मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने, जो साल 2014 से भारत की केंद्रीय सत्ता में हैं, ने ऑस्ट्रेलिया के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को मज़बूत करने में अहम भूमिका निभाई है। 2014 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया था। ये तीन दशकों के भीतर किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला ऑस्ट्रेलियाई दौरा था।
मई में मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा के दौरान दोनों देशों ने प्रवासी समझौते की घोषणा की थी जिसके बाद छात्रों, शिक्षाविदों, पेशेवरों के लिए ऑस्ट्रेलिया और भारत की यात्रा करना और वहां नौकरी करना आसान हो जाएगा।
भारत और आस्ट्रेलिया के नेताओं ने दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को पूरा करने के लिए भी प्रतिबद्धता ज़ाहिर की पिछले साल अप्रैल में हुए समझौते के नतीजे इस समझौते की दिशा तय करेंगे।
इसी साल मार्च में ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अलबानीज़ पदभार संभालने के बाद अपने पहले दौरे पर भारत आए थे। इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी और अलबानीज़ ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने, आर्थिक सहयोग, शिक्षा और द्विपक्षीय कारोबार पर चर्चा की थी।
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार और पब्लिक पॉलिसी रिसर्च संस्थान सीयूटीएस इंटरनेशनल के साथ काम करने वाले प्रदीप एस मेहता कहते हैं, “प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों के बीच समय-समय पर हो रही मुलाक़ातों से दोनों देशों के संबंध मज़बूत हो रहे हैं। ऐसा पहले नहीं देखा गया था।”
विश्लेषक मानते हैं कि इस साझेदारी से दोनों ही देशों को फ़ायदा हो रहा है। भारत और ऑस्ट्रेलिया चार सदस्यों वाले क्वाड समूह में भी शामिल है जिसका मक़सद भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करना है।