पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के ख़िलाफ़ विपक्ष दलों के अविश्वास प्रस्ताव लेकर आने से वहां राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। अब तो सत्ता में बैठे कई सहयोगी भी इमरान ख़ान का साथ छोड़ रहे हैं।
इमरान ख़ान ने 27 मार्च को सत्तारुढ़ पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) पार्टी की एक ऐतिहासिक सभा का आयोजन किया। इसमें उन्होंने अपना मज़बूत चेहरा दिखाने की कोशिश की।
रैली में उन्होंने आरोप लगाया कि "पाकिस्तान में विदेशी धन के सहारे सरकार गिराने की कोशिश की जा रही है।" हालांकि विपक्ष ने इमरान ख़ान के बयान को सिरे से ख़ारिज कर दिया।
अब सारा ध्यान पाकिस्तान के निचले सदन नेशनल असेंबली पर चला गया है, जिसके एजेंडे में इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव है। इस प्रस्ताव को 28 मार्च को पेश किया गया। उम्मीद है कि इस प्रस्ताव पर इस हफ़्ते के अंत तक मतदान होगा।
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इस बीच, भारत के जानकारों का मानना है कि ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का नतीजा चाहे जो हो, पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण बने ही रहेंगे।
घरेलू कारणों के कारण, न तो नई दिल्ली और न ही इस्लामाबाद की नीति में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना दिखती है।
सोर्सः बीबीसी