पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री परवेज़ मुशर्रफ़ जीवन और मृत्यु का जंग लड़ रहे हैं। यूएई के दुबई में उनका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। परिवार वालों का कहना है कि डाक्टर उनकी ठीक होने की आशा छोड़ चुके हैं।
हालांकि कुछ देर पहले पूर्व प्रधान मंत्री की मौत की खबर कुछ चैनलों और सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, जिसका बाद में खंडन कर दिया गया था।
उनके परिवार की तरफ़ से ट्वीट किय गयाः “परवेज मुशर्रफ वेंटिलेटर पर नहीं हैं। अपनी बीमारी (एमाइलॉयडोसिस) की जटिलता के कारण पिछले 3 सप्ताह से अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी बीमारी गंभीर स्थिति में है जहां से ठीक होना संभव नहीं है। उनके दैनिक जीवन में आसानी के लिए प्रार्थना करें,”
मुशर्रफ़ का जन्म भारत की राजधानी दिल्ली शहर में दरियागंज में हुआ था। भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार कराची में जाकर बसा।
परवेज़ मुशर्रफ़ 1999 तक पाकिस्तानी सेना के प्रमुख थे और उनको कारगिल युद्ध का मास्टर मांइड माना जाता है। यह युद्ध पाकिस्तान और भारत की सेना के बीच मई से जूलाई 1999 के बीच लड़ा गया था।
इस युद्ध से उपजे हालात और विश्व स्तर पर हुई आलोचना के कारण जब अक्टूबर 1999 में नवाज़ शरीफ़ ने जब मुशर्रफ़ को उनके पद से हटाने की कोशिश की तो मुशर्रफ़ के प्रति वफ़ादार जनरलों ने शरीफ़ का ही तख्ता पलट करके सरकार पर कब्जा कर लिया। मई 2000 में पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि पाकिस्तान में चुनाव कराए जाएं। मुशर्रफ़ ने जून 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति रफीक़ तरार को हटा दिया व खुद राष्ट्रपति बन गए। अप्रैल 2002 में उन्होंने राष्ट्रपति बने रहने के लिए जनमत-संग्रह कराया जिसका अधिकतर राजनैतिक दलों ने बहिष्कार किया। अक्टूबर 2002 में पाकिस्तान में चुनाव हुए जिसमें मुशर्रफ़ का समर्थन करने वाली मुत्ताहिदा मजलिस-ए-अमाल पार्टी को बहुमत मिला। इनकी सहायता से मुशर्रफ़ ने पाकिस्तान के संविधान में कई परिवर्तन कराए जिनसे 1999 के तख्ता-पलट और मुशर्रफ़ के अन्य कई आदेशों को वैधानिक सम्मति मिल गई।