चीन अंतरिक्ष में किस प्रकार कर रहा है खेती?
अंतरिक्ष में और हमारे ग्रह की सुरक्षात्मक चुंबकीय ढाल के बाहर निम्न-गुरुत्वाकर्षण वातावरण में उन्होंने डीएनए में सूक्ष्म परिवर्तन किए, जिससे इन पौधों में नई विशेषताएं पैदा हुई, जिसने इन्हें सूखे को अधिक बर्दाश्त करने और कुछ बीमारियों के लिए अधिक प्रतिरोधी बना दिया है।
Table of Contents (Show / Hide)
![चीन अंतरिक्ष में किस प्रकार कर रहा है खेती?](https://cdn.gtn24.com/files/india/posts/2022-07/het.webp)
पहली नज़र में, यह पूरी दुनिया में कहीं भी हवा में लहलहाती गेहूं की फ़सल जैसी दिखाई देती है। लेकिन पूर्वोत्तर चीन में फ़सलों के विशाल खेत में मौजूद ये कोई साधारण पौधे नहीं हैं। वे अंतरिक्ष में उगाए गए थे।
यह गेहूं की एक क़िस्म है जिसे लुयुआन 502 कहा जाता है और यह चीन में दूसरी सबसे ज़्यादा उगाई जाने वाली गेहूं की क़िस्म है।
इन पौधों को बीजों से उगाया गया है जिन्हें पृथ्वी की सतह से 200 मील (340 किमी) ऊपर ऑर्बिट में तैयार किये गए हैं।
ये उन महत्वपूर्ण फ़सलों की नई क़िस्मों का एक उदाहरण है, जो हमारे ग्रह की परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान और अंतरिक्ष स्टेशनों पर उगाई जा रही है।
दरअसल, वैज्ञानिकों को कुछ समय के लिए बीजों को अंतरिक्ष में भेजने से फ़सलों की नई क़िस्मों को विकसित करने में मदद मिलती है।
ये फ़सलें एक अलग वातावरण में बहुत तेज़ी से विकसित होती हैं। और इस तरह दुनिया की बढ़ती हुई आबादी की भोजन संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करती हैं।
कैसे उगती है फ़सल?
अंतरिक्ष में भेजे गए बीज माइक्रोग्रैविटी में रहते हैं। वहाँ वे बड़े पैमाने पर कॉस्मिक किरणों का सामना करते हैं, जो पौधों के विकास और परिवर्तन की क्रिया को बहुत ज़्यादा गतिशील करते हैं। इस प्रक्रिया को स्पेस म्यूटेजेनेसिस के नाम से जाना जाता है।
कुछ म्यूटेंट्स पौधों को बढ़ने के क़ाबिल नहीं छोड़ते हैं, जबकि कुछ फ़ायदेमंद हो सकते हैं। कुछ पौधे सख्त और अधिक बढ़ती हुई परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम हो जाते हैं, और एक पौधे से अधिक फल का उत्पादन होता हैं या ये तेजी से बढ़ते हैं या उन्हें कम पानी की ज़रुरत होती है।
जब उन्हें पृथ्वी पर वापस लाया जाता है, तो इन अंतरिक्ष-नस्ल वाले पौधों के बीजों का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया जाता है और नई नस्ल की प्रोसेसिंग से गुज़ारा जाता है ताकि लोकप्रिय फ़सलों की क़िस्में तैयार किये जा सकें।
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और दूसरी वजहों से कृषि पर दबाव बढ़ता जा रहा है जिससे बढ़ती आबादी के लिए खाद्यान्न का संकट खड़ा हो सकता है। उस चुनौती के लिहाज से इन फ़सलों को उगाने की ज़रुरत बढ़ती जा रही है।
कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि 'स्पेस म्यूटेजेनेसिस' या अंतरिक्ष प्रजनन का इस्तेमाल फ़सलों को उन नई चुनौतियों के अनुसार ढालने में किया जा सकता है।
बीजिंग में चाइनीज़ एकैडमी ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज़ में फ़सल के सुधार के लिए चीन के प्रमुख स्पेस म्यूटेजेनेसिस विशेषज्ञ और नेशनल सेंटर ऑफ़ स्पेस म्यूटेजेनेसिस के निदेशक लियू लिकियांग कहते हैं, कि "स्पेस म्यूटेजेनेसिस सुंदर म्यूटेशंस पैदा करती है।"
उदाहरण के लिए, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, लुयुआन 502 से होनेवाली पैदावार चीन में उगाई जाने वाली मानक गेहूं की क़िस्मों की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है। इसमें सूखे को बर्दाश्त करने और गेहूं के सबसे आम कीटों के विरुद्ध लड़ने की शक्ति है।
यह भी पढ़े : क्या सरकार को गिरते रूपये के लिए कदम उठाने चाहिए?
लियू लिकियांग कहते हैं, "लुयुआन 502 एक सच्ची सफलता की कहानी है। इसकी उत्पादकता बहुत ज़्यादा है और इसकी खेती अलग-अलग क्षेत्रों और अलग-अलग परिस्थितियों में की जा सकती है। "
यह अनुकूलन क्षमता यानी जगह के अनुसार ढलने की क्षमता ही चीन के विशाल विविध कृषि क्षेत्रों और विविध जलवायु में किसानों के बीच लुयुआन 502 को लोकप्रिय बनाती है।
यह पिछले 30 वर्षों में चीन में पैदा होने वाली 200 से अधिक स्पेस म्यूटेजेनेसिस वाली फ़सलों की क़िस्मों में से एक है।
गेहूं के अलावा, चीनी वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष नस्ल के चावल, मक्का, सोयाबीन, अल्फाल्फा (पशु चारे के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक फलीदार पौधा, जिसे फसफसा भी कहा जाता है), तिल, कपास, तरबूज़, टमाटर, मीठी मिर्च और अन्य कई तरह की सब्ज़ियां विकसित की हैं।