बिन ज़ायद अपने भाईयों को हटाकर अपने बेटे को यूएई का क्राउन प्रिंस बनाना चाहते हैं
संयुक्त अरब अमीरात के जानकार सूत्रों ने खबर दी है कि यूएई के किंग मोहम्मद बिन ज़ायद अपने भाईयों पर दबाव डाल रहे हैं कि वह उनके बड़े बेटे को क्राउन प्रिंस को ओहदा दिए जाने को स्वीकार कर लें, ताकि इस प्रकार उनके बेटे की यूएई की सत्ता के शिखर पर पहुँचने का रास्ता साफ हो सके।
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बहुत से राजनीतिक सूत्रों का कहना है कि संयुक्त अरब अमीरात के किंग मोहम्मद बिन ज़ायद अपने भाईयों पर दबाव डाल रहे हैं कि वह वह अपने बेटे को यूएई का क्राउन प्रिंस बनाए जाने के फैसले को स्वीकार कर लें, ताकि इस प्रकार भविष्य में उनके बेटे के यूएई की सत्ता के शिखर पर पहुँचने का रास्ता साफ हो जाए।
सूत्रों का कहना है कि बिन ज़ायद की अपने बेटे को क्राउन प्रिंस बनाने की इच्छा, और उनके भाईयों द्वारा इसके विरोध ने बिन ज़ायद के क्राउन प्रिंस की घोषणा को लेट कर दिया।
याद रहे कि यूएई में क्राउन प्रिंस के पद को सत्ता का गेटवे कहा जाता है। जैसा कि बिन ज़ायद के केस में हुआ था कि खलीफ़ बिन ज़ायद के कोमा में जाने के बाद उनके सौतेले भाई (बिन ज़ायद) पिछले कुछ वर्षों में यूएई की गद्दी के वास्तविक राजा बन गए।
कुछ दिनों पहले खलीफ़ की रहस्यम मौत की उस समय घोषणा की गई कि जब वह 2014 से ही कोमा में थे, और बिन ज़ायद उनके उत्तराधिकारी थे।
सूत्रों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से बिन ज़ायद अपने बेटे खालिद को सत्ता के शिखर पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, और अबूधाबी के हुकूमती ढांचे में परिवर्तन दिखाता है कि बिन ज़ायद ने इस तमाम सालों में लगातार यह कोशिश की है कि खालिद की लिए सत्ता के शिखर पर पहुँचने के रास्ते को हमवार कर सकें।
इसी संदर्भ में अक्टूबर 2019 में खादिद को “अबू धाबी कार्यकारी परिषद” का सदस्य बनाया गया। यह परिषद संयुक्त अरब अमीरात की सबसे शक्तिशाली परिषद मानी जाती है।
दिसंबर 2020 में, वह वित्तीय और आर्थिक मामलों के सर्वोच्च परिषद के बोर्ड में शामिल हो गए। यह एक नया निकाय है जो अबू धाबी की अर्थव्यवस्था की देखरेख करता है, जिसमें तेल और गैस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र भी शामिल है।
मार्च 2021 में, उन्हें सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी और अमीरात के धन का मुख्य स्रोत की नव स्थापित परिषद “अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी” का सदस्य नियुक्त किया गया था।
इसके अलावा, खालिद राजनीतिक और तेल क्षेत्रों के कार्यकारी कार्यालयों के प्रमुख हैं, जो उन्हें सरकारी प्रशासन के राजनीतिक और आर्थिक मामलों में नेतृत्व और व्यापक प्रभाव का अनुभव देता है।
खालिद मोहम्मद बिन जायद सरकार के सुरक्षा तंत्र के भी प्रमुख है, जो संयुक्त अरब अमीरात में सबसे शक्तिशाली सुरक्षा और खुफिया तंत्र है, जिससे उसे अपनी शक्ति बढ़ाने और चाचा और अल-नाहयान परिवार के अन्य सदस्यों को कंट्रोल करने की शक्ति मिलती है।
ब्रिटिश फाइनेंशियल टाइम्स ने एक रिपोर्ट में लिखा: "अटकलों से पता चलता है कि मुहम्मद बिन जायद ने देश के शासक परिवारों में मौजूदा रीति-रिवाजों को तोड़ दिया और अपने भाई "तहनून बिन जायद", या अन्य सौतेले भाइयों को अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुनने के बजाय, उनका इरादा अपने बेटे खालिद को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने का है।
साथ ही, जानकार सूत्रों ने खुलासा किया कि मोहम्मद बिन जायद के सबसे बड़े बेटे खालिद ने हाल के महीनों में इज़राइल के मोसाद के साथ संबंधों को बढ़ाने और अपन प्रभाव का विस्तार करने के अपने प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया है।
सूत्रों ने कहा कि यूएई सुरक्षा सेवा के प्रमुख खालिद ने सूचनाओं के आदान-प्रदान और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए मोसाद प्रमुखों के साथ एक अलग संचार चैनल स्थापित किया है।''
इस सूत्र ने बतायाः पिछले महीने डेविड बार्नी के मोसाद का निदेशक बनने के बाद से खालिद ने अपनी पूरी कोशिश की है कि जितनी जल्दी संभव हो बर्नी के साथ सीधे संचार संपर्क स्थापित कर सके।
सूत्रों ने खालिद की कार्रवाई को संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और मुहम्मद बिन जायद के सौतेले भाई तहनून बिन जायद के साथ एक खुले टकराव के रूप में वर्णित किया है, और खालिद की इस कार्यवाही को तहनून को हाशिए पर रखने के नए प्रयास के तौर पर देखा है।
सूत्रों का कहना है किः मुहम्मद बिन जायद, इजराइल के अलावा, गुप्त रूप से अपने बड़े बेटे के रिश्ते को अमरीकी और यूरोपीय खुफिया एजेंसियों के साथ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि संयुक्त अरब अमीरात में उनकी शक्ति के आधार को करने के साथ उनको सत्ता के लिए तैयार कर सकें।
तहनून संयुक्त अरब अमीरात सामरिक मामलों की समिति के अध्यक्ष हैं और कहा जाता है कि इस क्षेत्र में सभी तोड़फोड़, अराजकता, विध्वंसक कार्यवाहियों और टकराव के पीछे उनका हाथ होता है। वह संयुक्त अरब अमीरात में बड़ी वाणिज्यिक कंपनियों के भी मालिक हैं और अबू धाबी बैंक और रॉयल ग्रुप कंपनियों के अध्यक्ष हैं।
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राजनीतिक और सरकारी पदों के अलावा, अमरीका में अपनी शिक्षा पूरी करने वाले 40 वर्षीय खालिद और तहनून के बीच आर्थिक विशेष रूप से सैन्य और हथियारों की खरीद मामलों में जारी प्रतिद्वंदता ने दुनिया की हथियारों का निर्माण करने वाली बड़ी कंपनियों को दुविधा में डाल दिया है।
मुहम्मद बिन जायद के एक अन्य भाई मंसूर बिन जायद क्राउन प्रिंस पद के एक और उम्मीदवार हैं। वह उप प्रधान मंत्री और मैनचेस्टर सिटी फुटबॉल क्लब के मालिक हैं और उनकी व्यापक आर्थिक और व्यावसायिक गतिविधियाँ हैं। उनका नाम मलेशियाई कंपनी (1MDB) के वित्तीय घोटाले से जुड़ा है और इससे उनके इस पद पर बने रहने की संभावना कम हो गई है।
क्राउन प्रिंस पद के उम्मीदवारों और बिन ज़ायद के बेटे खालिद के प्रतिद्वंदियों की लिस्ट में हम "हज़ा बिन जायद" का भी उल्लेख कर सकते हैं, जिसका उल्लेख आने वाले वर्षों में अबू धाबी में सबसे व्यापक उत्तराधिकारी विकल्पों में से एक के रूप में किया गया है।
कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि शेख खलीफा के लिए शोक के चालीस दिनों के अंत तक एक नए क्राउन प्रिंस की घोषणा को स्थगित कर दिया जाएगा।