भारतीय समाज के बारे में यह सोच विश्व स्तर पर मौजूद है कि वहां अलग अलग विचारों और मतों से तअल्लुक़ रखने वाले तेज़ तर्रार लोग आम जनता को गुहराह करने में कामयाब हो जाते हैं। इसी क्रम में अब यह नया मामला सामने आया है। अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के अथॉरिटीज़ ऑफ़ आयुर्वेदिक एंड यूनानी सर्विसेज़ ने पतंजलि के उत्पाद बनाने वाली दिव्य फ़ार्मेसी को पाँच दवाओं का उत्पादन रोकने को कहा है। साथ ही कंपनी को मीडिया से इन पाँचों उत्पादों के विज्ञापन भी वापस लेने के लिए कहा गया है।
इससे पहले बाबा रामदेव की कंपनी कोरोना वायरस की दवा के तौर पर कोरोनिल नाम की दवा बेच रही थी जिस पर रामदेव की बड़ी फ़ज़ीहत हुई थी क्योंकि यह तथ्य सामने आया था कि इस दवा का कोरोना वायरस के संक्रमण के इलाज में कोई रोल नहीं है। योग गुरु रामदेव की पतंजलि कंपनी के तहत आने वाली फार्मेसी को ‘ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडिज़ एक्ट’ का बार-बार उल्लंघन करते पाया गया था।
उत्तराखंड आयुर्वेदिक और यूनानी सर्विसेज़ के लाइसेंस ऑफ़िसर डॉक्टर जी.सी.एस जंगपंगी की ओर से जारी चिट्ठी में फार्मेसी से तत्काल दिव्य मधुग्रिट, दिव्यआईग्रिट गोल्ड, दिव्य थाइरोग्रिट, दिव्य बीपीग्रिट और दिव्य लिपिडोम दवाओं का उत्पादन रोकने को कहा गया है, इन दवाओं का इस्तेमाल मधुमेह, आंख के इनफ़ेक्शन, थाइरॉइड, रक्तचाप और कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखने के लिए किया जाता है।
डॉक्टर जंगपंगी के हवाले से अख़बार ने लिखा है, “हमने एक टीम बनाई है जो इन दवाओं के फॉर्मुलेशन शीट की समीक्षा करेंगे, दिव्य फार्मेसी से एक सप्ताह के भीतर रिवाइज़्ड लेबल क्लेम भी जमा करने को कहा गया है.”
अख़बार के अनुसार, दिव्य फार्मेसी से कहा गया है कि जब तक इन पाँचों दवाओं के फॉर्मुलेशन को संबंधित विभाग से मंज़ूरी नहीं मिल जाती, तब तक इनके उत्पादन को बंद रखे।
अधिकारी ने कहा कि भविष्य में भी दिव्य फार्मेसी के विज्ञापनों को आयुर्वेद एंड यूनानी लाइसेंसिंग अथॉरिटी से मंज़ूरी लेनी होगी. अगर मंज़ूरी के बिना विज्ञापन चलता रहा तो फार्मेसी पर ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडिज़ (आपत्तिजनक विज्ञापन) एक्ट और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के नियम 170 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।