यूक्रेन में लाशों की पहचान के लिए परेशान लोगों की कहानी
ओलेह पोडोरोज़नी हल्की रोशनी वाले गलियारों से होकर मुर्दाघर की तरफ़ पीछे के यार्ड में एक बड़े सफ़ेद कंटेनर तक ले जाते हैं। यहाँ खिड़कियों को रेत की बोरियों से बंद किया गया है।
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जैसे ही भारी भरकम दरवाजे़ को खोला गया, लाशों की गंध बाहर तक निकल कर आने लगी। सफ़ेद थैलों में अंदर इकट्ठे किए गए नागरिकों के शव हैं।
जब इज़ियम शहर पर रूसी सैनिकों का क़ब्ज़ा था तब इन नागरिकों की मौत हो गई थी। इनमें से कई तो महीनों से मृत हैं।लाश के थैलों को नंबरों से चिह्नित किया गया है। मृत लोगों के विवरण को काले पेन से लिखा गया है। इज़ियम शहर के आज़ाद होने के कुछ हफ़्तों बाद वहाँ पाए गए 146 लोगों के शवों के अवशेषों की अब तक पहचान नहीं हो पाई है।
ये अवशेष यहाँ इसलिए हैं क्योंकि ख़ारकीव क्षेत्र में रूसी मिसाइल हमलों और सामूहिक क़ब्रों से मुख्य मुर्दाघर अज्ञात लाशों से भरी पड़ी है।
फोरेंसिक विशेषज्ञ और पैथेलॉजिस्ट ओलेह पोडोरोज़नी कहते हैं, "अभी हमारे पास शवों की संख्या वास्तव में बहुत अधिक है।"ओलेह आगे बताते हैं कि,"डीएनए की जांच होने तक सभी मृत अवशेष यहीं रहेंगे।"
यहाँ एक जेनेरेटर भी है, लेकिन यूक्रेन के बुनियादी ऊर्जा ढांचे पर रूसी हमलों की वजह से होने वाली नियमित बिजली कटौती के दौरान कंटेनर को ठंडा रखना चुनौतीपूर्ण है।
एक लंबी तलाश
इज़ियम में पूर्व की तरफ़ कुछ घंटों के सफ़र के बाद रूस के आक्रमण से विनाश दिखता है। आक्रमण से होने वाली तबाही चौंकाने वाली है।फ्लैटों के ऊंचे-ऊंचे ब्लॉक के बीच में एक विशाल सुराख है और चारों ओर अलग-अलग घरों को जमींदोज़ कर दिया है।
एक आदमी आग से काली हुई एक इमारत के दीवार को रंग रहा था। वहीं पास के गैराज में पंक्तिबद्ध तरीके़ से बड़े ज़ेड के आकार को दीवारों पर पोत दिया गया था। इस ज़ेड के आकार को सात महीने के कब्जे़ के दौरान रूसी सैनिकों के द्वारा दिया गया टैग है।इन सबके बीच रहने वाले परिवार उन रिश्तेदारों की तलाश कर रहे हैं। परिवार को पता है कि उनके परिचित की मौत हो चुकी है लेकिन अब तक उनके पास कोई शरीर नहीं है जिसे वे दफन कर सकें।
इज़ियम पुलिस स्टेशन को नष्ट कर दिया गया था, इसलिए वहां के अधिकारियों ने आर्ट कॉलेज में एक घटना कक्ष स्थापित किया है। यहाँ वे डीएनए के नमूने और इलाक़े में अत्याचारों के सबूतों को एकत्र करते हैं।अधिकारी एक-एक कर लोगों को बुलाते हैं और गालों के अंदरूनी हिस्से से सैंपल लेते हैं। डीएनए सैंपल को फोरेंसिक प्रयोगशाला में इस उम्मीद में भेज दिया जाता है कि मुर्दाघर के किसी लाश से उसकी आनुवंशिकी (जेनेटिक) की मेल हो जाए।
तित्याना तबाकिना, अपनी बारी के बाद कमरे के बीच में रुकती हैं। वो अपने मुंह को सैंपल देने के लिए इस तरह से आगे करती हैं जैसे वो सिसक रही हों।मार्च की शुरुआत में उनकी बहन इरीना और भतीजा येवेनी फ्लैटों के ब्लॉक पर एक रूसी हवाई हमले में मारे गए थे। वे इमारत की बेसमेंट में सुरक्षित रहने की मंशा से शरण लिए हुए थे।
तेत्याना ने अपने भतीजे येवेनी के हाथ पर बने एक टैटू से उसकी पहचान की। लेकिन उन्हें अब तक अपनी बहन नहीं मिल सकी है।
तेत्याना कहती हैं, "इरा विस्फोट में क्षत-विक्षत हो गई थी। मुझे उसका एक टुकड़ा भी नहीं मिला। मैं अपनी बहन के एक छोटे से टुकड़े को पाने का इंतज़ार कर रही हूं ताकि मैं उन दोनों (इरीना और येवेनी) को एक साथ दफना सकूं।"
सोर्स बीबीसी